पूरे आयोजन स्थल पर दो दिनों तक आध्यात्मिक माहौल बना रहा और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती रही।पहले दिन महर्षि मेंही आश्रम बैजनाथपुर से पधारे संत योगानंद परमहंस जी महाराज गुरुवार को दूसरे दिन कहा कि मनुष्य जन्म दुर्लभ है और इस जीवन का सार केवल नाम–भक्ति और सदाचार में ही है। मन की अशांति, क्रोध, ईर्ष्या, अहंकार और मोह यह सब तब समाप्त होने लगते हैं जब मन सत्संग और भक्ति से जुड़ता है।उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में मनुष्य बाहरी सुख-सुविधाओं में उलझकर अपने वास्तविक लक्ष्य से भटक रहा है।संतमत कहता है कि भक्ति बिना जीवन अधूरा है और गुरु बिना भक्ति भी अधूरी। इसलिए मन, वाणी और कर्म से शुद्ध बने रहकर सत्संग, नाम–जप एवं ध्यान को जीवन का आधार बनाना चाहिए।
सुभाषानंद जी महाराज ने महर्षि मेंही परमहंस जी की शिक्षाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि आत्मिक साधना में सरलता, प्रेम और करुणा सबसे महत्वपूर्ण तत्व हैं। यही गुण मनुष्य को हिंसा, छल, क्रोध और पाप से दूर ले जाते हैं।
अधिवेशन में संत योगानंद परमहंस जी महाराज, सुभाषानंद जी महाराज, गुरु प्रसाद जी महाराज, स्वामी निर्मलानंद जी महाराज, दयानंद जी महाराज और वासुदेव जी महाराज सहित कई संत उपस्थित थे। विद्वान संतों के प्रवचन और आध्यात्मिक मार्गदर्शन से श्रद्धालु आस्था और भक्ति में डूबे रहे।पहले दिन और दूसरे दिन दोनों सत्रों में संतों ने संतमत सिद्धांत, महर्षि मेंही परमहंस जी की शिक्षाओं, आत्मिक उन्नति, ध्यान, नैतिक जीवन तथा गुरु भक्ति के महत्व पर विस्तार से बोलकर श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान की।
आयोजक कमलेश्वरी मुखिया ने बताया कि मंच, पंडाल, पेयजल, लंगर, रोशनी, बिजली और चिकित्सा सुविधा जैसी सभी व्यवस्थाएं सफलतापूर्वक संचालित की गईं। स्वयंसेवकों की टीम लगातार श्रद्धालुओं की सहायता में जुटी रही।स्थानीय ग्रामीणों ने घर–आंगन की सफाई, रास्तों की मरम्मत और स्वागत सत्कार की विशेष तैयारी कर आयोजन को भव्य रूप दिया। बाहर से आए श्रद्धालुओं के आवास एवं सुरक्षा का भी उचित प्रबंध किया गया था।
समापन दिवस पर संध्या कालीन आरती, गुरु स्तुति, भजन–कीर्तन और ध्यान से पूरे परिसर का वातावरण अलौकिक हो उठा। दूर–दराज क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं ने भी इस आध्यात्मिक रस में डूबकर आशीर्वाद प्राप्त किया।
गुड़िया गांव में सम्पन्न यह 43वां जिला स्तरीय संतमत सत्संग पूरे इलाके के लिए एक आध्यात्मिक पर्व साबित हुआ, जिसने समाज में शांति, प्रेम और सद्भाव का संदेश दिया।
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 11, 2025
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