कार्यक्रम का उद्घाटन महाविद्यालय के प्राचार्य डा. अशोक कुमार झा, जादवपुर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक प्रो. जगतपति ताह, बीएनएमयू के रसायन विभागाध्यक्ष प्रो. (डा.) नरेश कुमार, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के डा. अभिजीत कुमार, डा. गरिमा त्रिपाठी, डा. विजय कुमार पटेल, डा. उषा शर्मा तथा शिक्षिका ज्योत्सना द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
प्राचार्य डा. अशोक झा ने आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रे को भारतीय रसायन विज्ञान का जनक बताते हुए उनके योगदानों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि रे द्वारा मर्क्यूरस नाइट्राइट की खोज और नाइट्राइट्स पर किए गए कार्य ने उन्हें "नाइट्राइट्स के मास्टर" का खिताब दिलाया।
सेमिनार में बीएनएमयू के डा. नरेश कुमार ने आचार्य पी सी रे के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक योगदानों का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने 1901 में बंगाल केमिकल एंड फार्मास्युटिकल वर्क्स की स्थापना की थी।
प्रो. जगतपति ताह ने सफेद चंदन (White Sandalwood) के वृक्षारोपण एवं नई कृषि तकनीकों पर व्याख्यान देते हुए परिसर में चंदन के पौधे भी लगाए। वहीं, डा. गरिमा त्रिपाठी ने अणुओं के जादुई गुणों पर चर्चा की और बताया कि कैसे रसायन विज्ञान हमारे भोजन, जल, दवाइयों और सौंदर्य प्रसाधनों में 'Happy Hormones' को प्रभावित करता है।
डा. अभिजीत कुमार ने दवाओं के अनुसंधान, भारत की उपलब्धियों और चुनौतियों पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने आम के छिलके से उत्प्रेरक के निर्माण पर भी अपने अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम में डा. संगीता सिन्हा, डा. शिवा शर्मा, डा. चंद्रशेखर आजाद, डा. सुशांत कुमार सिंह, डा. शंकर रजक, डा. प्रतीक कुमार, डा. मोनी जोशी, डा. अजमल अंसारी, डा. इहतेशाम आलम सहित अनेक शिक्षकों की उपस्थिति रही। शिक्षकेत्तर कर्मियों में देवाशीष देव, कुमार राजन, नीरज कुमार निराला, प्रमोद कुमार, मनीष, राजीव, प्रियरंजन, नयनरंजन आदि की भागीदारी रही।
सेमिनार के दौरान प्रो. ताह के द्वारा कमलेश्वरी सह आचार्य पी.सी. रे वाटिका का उद्घाटन कर सफेद चंदन के पौधे लगाए गए। स्वागत गान महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डा. विजय कुमार पटेल द्वारा किया गया। आयोजन को सफल बनाने में डा. दीपक कुमार की भूमिका सराहनीय रही।

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