कार्यक्रम के मौक़े पर वक्ताओं ने कहा कि 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को देश की राजभाषा के रूप में अंगीकृत किया था। तभी से प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस न केवल राजभाषा के रूप में हिन्दी की गौरवपूर्ण परंपरा का प्रतीक है, बल्कि सरकारी कार्यों एवं आम जीवन में हिन्दी के अधिकाधिक प्रयोग को बढ़ावा देने का संकल्प दिवस भी है।
समारोह में हिन्दी के संवर्धन एवं शत-प्रतिशत प्रयोग को सुनिश्चित करने हेतु कई महत्वपूर्ण विचारणीय बिंदुओं पर चर्चा की गई। इनमें प्रमुख रूप से सभी प्रकार के मोहरों और सीलों पर हिन्दी उत्कीर्णन, सभी पदनाम पट्टिकाओं का हिन्दी में लेखन, सरकारी सेवकों द्वारा भ्रमण कार्यक्रमों की प्रस्तुति हिन्दी में, पुलिस केस डायरी एवं पत्राचार हिन्दी में, विज्ञापन एवं निविदा सूचना का प्रकाशन हिन्दी में, सभी प्रकार का पत्राचार, टिप्पण, चरित्री लेखन, नाम पट्ट एवं सूचना पट्ट का हिन्दी में लेखन, वाहनों पर हिन्दी नामपट्ट, प्रशासनिक अधिसूचनाएँ, आदेश, निदेश, कार्यवृत्त एवं प्रगति प्रतिवेदन का हिन्दी में प्रकाशन तथा न्यायालयों में वाद निष्पादन संबंधी आदेश हिन्दी में निर्गत करना शामिल है।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि राजभाषा हिन्दी के प्रयोग से प्रशासनिक कार्य सरल, पारदर्शी एवं जनहितकारी बनते हैं। साथ ही, हिन्दी से जुड़ी उत्कृष्ट टिप्पणियाँ और कार्य प्रारूप प्रस्तुत करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को राजभाषा विभाग की ओर से पुरस्कृत करने हेतु अनुशंसा भी की जाएगी।
समारोह का समापन हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार एवं इसके निरंतर प्रयोग के संकल्प के साथ हुआ।

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