अनशन पर मनीष कुमार के साथ बीसीए छात्र सानू कुमार और आलोक कुमार बैठे हैं। मनीष ने कहा कि कुछ छात्राओं को कुलपति से मिलने के नाम पर कार्यालय ले जाया गया। वहां उन्हें नामांकन रद्द करने और भविष्य बर्बाद करने की धमकी दी गई। आंदोलन में शामिल न होने की चेतावनी दी गई। छात्राओं से आधार कार्ड मांगा गया।
उन्होंने कहा कि विवि में तालिबानी कानून लागू है। छात्रों को आधिकारिक धरना स्थल पर भी नहीं जाने दिया जा रहा। अनशनकारियों को प्रवेश से रोकना अलोकतांत्रिक है। युवा शक्ति नेता सौरव यादव ने कहा कि संवैधानिक तरीके से अनशन करना गलत कैसे हो सकता है। पूर्व कुलपति प्राे. अवध किशोर राय के समय से ही धरना स्थल तय है।
वहां छात्र, शिक्षक और कर्मचारी धरना देते रहे हैं। अब छात्रों को गेट के अंदर नहीं जाने देना गलत है। छात्रों ने पुनर्गणना नहीं, कॉपी का पुनर्मूल्यांकन कराने की मांग की। छात्रों ने कहा कि किसी भी कॉलेज में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं। कॉलेजों में 10 साल से लैब नहीं हुआ। बीसीए का सिलेबस 17 साल पुराना है। दो महीने में 20 दिन भी क्लास नहीं हुई। कई BCA छात्रों को आधे नंबर से फेल किया गया।
दूसरी तरफ, विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर ने छात्र नेता मनीष कुमार पर एफआईआर दर्ज करने के लिए सदर थाना में आवेदन दिया है। आरोप लगाया गया है कि मनीष कुमार के नेतृत्व में करीब 10-15 असमाजिक समर्थकों के साथ विश्वविद्यालय के एक मात्र प्रवेश द्वार को बंद कर धरना देते हुए सरकारी कामकाज को बाधित किया है। समझाने गए कर्मचारी एवं पदाधिकारियों को बुरा अंजाम भुगतने की धमकी भी दिया है।

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