दो दिवसीय कुश्ती के अंतिम दिन पहलवानों ने आजमाया दांव पेंच

मधेपुरा जिले के घैलाढ़ प्रखंड क्षेत्र के भतरंधा परमानपुर पंचायत के हरि नगर चरैया गांव के करिया घाट पर मकर संक्रांति मेले के शुभ अवसर में चल रहे कुश्ती दंगल के अंतिम दिन करीब तीन दर्जन कुश्ती के मुकाबले हुए. कुश्ती प्रतियोगिता में शेरू पहलवान यूपी, दिव्यांशु पहलवान, रोहित सिंह बनारस, पवन पहलवान, मकसूदन पहलवान गोरखपुर, भूकंप पहलवान बंगाल, कर्मवीर पहलवान रोहियार सहरसा, किशोर पहलवान ललमुनिया सुपौल, हरिहर मोनू पहलवान बनारस, शैलेश पहलवान यूपी, ललित पहलवान मधुबनी सहित दर्जनों पहलवानों ने हिस्सा लेकर अपना-अपना दमखम आजमाया. 

जहां पवन पहलवान गोरखपुर और आशीष पहलवान अयोध्या के बीच कुश्ती प्रतियोगिता बराबर रहा. वहीं शेरू पहलवान यूपी और दिव्यांशु पहलवान बनारस के बीच मुकाबले में दिव्यांशु पहलवान की जीत हुई. वहीं मकसूद पहलवान गोरखपुर और विमल पहलवान के बीच कुश्ती में विमल पहलवान की जीत हुई. वहीं अनुज पहलवान बलिया और विराज सिंह पहलवान गोरखपुर में विराज सिंह की जीत हुई. रोहित पहलवान बनारस और आशीष पहलवान अयोध्या के बीच मुकाबले में रोहित सिंह बनारस की जीत हुई. शमशाद आलम बेगूसराय और भूकंप पहलवान बंगाल के बीच मुकाबले में बेगूसराय के शमशाद आलम की जीत हुई. 

इससे पूर्व प्रतियोगिता का उद्घाटन मेला कमेटी के दर्पलाल यादव, मुकेश सिंह, रोशन यादव और महिषी विधानसभा के पूर्व राजद उम्मीदवार डॉ गौतम कृष्णा  सहित अन्य ने पहलवानों से हाथ मिला कर शुभारंभ किया. कुश्ती प्रतियोगिता को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुटी रही.

कुश्ती प्रतियोगिता का शुभारंभ करते हुए गौतम कृष्णा ने कहा कि मकर संक्रांति मेला के शुभ अवसर पर आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन हमारी संस्कृति और सभ्यता का हिस्सा है. इस तरह के आयोजन से हमारी संस्कृति और सभ्यता सहेजने का भी काम करती है. ग्रामीण क्षेत्र में खेलों को बढ़ावा देने का मुख्य कारण युवाओं में देशभक्ति की भावना को मजबूत करना है. मेला के माध्यम से आपसी भाईचारे की भावना को बल मिलता है और अपनी प्राचीन संस्कृति को आगे बढ़ाने का भी मौका मिलता है. उन्होंने कहा कि कुश्ती हमारे संस्कृति का हमेशा से हिस्सा रहा है. इस दंगल में कई जिलों के पहलवानों ने हिस्सा लिया. 

मौके पर मेला कमेटी के अध्यक्ष मुकेश सिंह ने मेला के आयोजन और इसकी महत्ता पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि ग्रामीण इलाकों में मेला का आयोजन हमेशा से होता रहा है. इस संस्कृति को आगे भी कायम रखने की जरूरत है.



दो दिवसीय कुश्ती के अंतिम दिन पहलवानों ने आजमाया दांव पेंच दो दिवसीय कुश्ती के अंतिम दिन पहलवानों ने आजमाया दांव पेंच Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 17, 2025 Rating: 5

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