संस्था संस्थापक व युवा गायक सुनीत साना ने कहा भारतीय लोक संगीत की महान गायिका शारदा सिन्हा जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित है. उनके द्वारा गाए गए भोजपुरी, मैथिली और मगही गीतों ने बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को संजीवनी दी है. उनके गीतों में केवल सुर-ताल ही नहीं बल्कि बिहारी मिट्टी की सुगंध और परंपराओं की मिठास भी घुली रही. शारदा सिन्हा जी ने दशहरा, छठ, होली और अन्य त्योहारों के ही नहीं बल्कि शादी-ब्याह के गीतों के माध्यम से भी न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में लोक संगीत को एक नई पहचान दी. उनके गीत हर वर्ग और आयु के लोगों में समान रूप से लोकप्रिय हैं और उन्होंने अपनी मधुर आवाज के जरिये लोक संस्कृति को हर घर तक पहुँचाया. संगीत को लेकर उनका योगदान अविस्मरणीय है. दुनिया में उनकी कमी हमेशा खलेगी. उनकी संगीत साधना और उनके गीत हमेशा हमारी सांस्कृतिक धरोहर के रूप में जीवित रहेगी. बिहार में उनके गीतों के बिना छठ और वैवाहिक समारोह अधूरे हैं. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवार तथा प्रशंसकों को इस कठिन समय में सहनशक्ति दे.
सदस्य गरिमा उर्विशा ने कहा कि स्वर कोकिला लोक गायिका पद्मभूषण पद्मश्री शारदा सिन्हा जी बिहार के सांस्कृतिक धरोहरों की सजीव हस्ताक्षर रहीं। आज वे पंचतत्व में विलीन भी हो चुकी हैं लेकिन दिवंगत शारदा सिन्हा वो आवाज है जो जबतक आंगन में नहीं गूंजती तबतक छठ हो या शादी-ब्याह या मुंडन, रौनक नहीं जमती। वो छठि मईया की पुत्री थी, सो उनकी गोद में जा चुकी हैं.. हम सब को अपनी आवाज में शब्दों और सुरों को पिरोकर गीतों की कई मालाएँ देकर गई हैं जो हमेशा हमारे लिए उन्हें खास बनाता रहेगा. बता दें कि संकल्प मैत्री फाउंडेशन के द्वारा छठ घाट पर कई पोस्टर लगाए गए. जिसके जरिये उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई.
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