सत्याग्रह पदयात्रा के गाय घाट पहुंचने पर सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, किसान नेता डाक्टर सुनीलम, पर्यावरण के लिए गोल्ड मैन पुरस्कार से सम्मानित प्रफुल्ल समंतरा, सहित अनेक राज्य के चर्चित समाजिक कार्यकर्ता शामिल होकर एकजुटता दिखाई.
यात्रा के दौरान गर्दनीबाग पहुंचने पर आयोजित सत्याग्रह को संबोधित करते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि सत्याग्रह में निहित अहिंसा के बीज और नैतिक पक्ष है. सत्याग्रहियों के आत्मबल की तारीफ की. सरकार द्वार बनाइ गई तमाम कमेटी पर सवाल खड़ा करते हुए निशाना साधा और सवाल किया कि आजतक कोशी के लोग पीड़ित क्यों हैं ? साथ ही कोशी नदी घाटी जनायोग की रिपोर्ट को नजरअंदाज करने की भी निंदा की. अन्यायपूर्ण लगान वसूली, पुनर्वास में ढिलाई की कड़ी आलोचना करते हुए सरकार को चेताया कि लोग कोशी के मसले को भी नर्मदा की तरह विश्व बैंक के स्तर से उठा सकते हैं.
वहीं कोशी के विषय को विकास के व्यापक सवाल से जोड़ते हुए मेधा पाटकर ने सरकार को समझाया कि नदियां राजनीतिक सीमाओं से परे हैं. विकास की धारणा पर सोचे बिना आपदा से मुक्ति असंभव है. अंततः उन्होंने सरकार से कोशी पीड़ितों के साथ लोकतांत्रिक भावना से जुड़ने का अनुरोध किया.
प्रफुल्ल सामंत्रा ने कहा कि विकास के नाम पर कोशी पीड़ितो के साथ अन्याय हो रहा है इसलिए सरकार को इनकी बातों को माननी चाहिए. वहीं डा. सुनीलम ने भी किसान आंदोलन की तरफ से इन मांगों का समर्थन किया.
कोशी के कटाव से विस्थापित तटबंध और बांध पर बसे लोगों, कोशी तटबंध के भीतर के लोगों का सर्वे कराकर पुनर्वास से वंचित लोगों को पुनर्वास देने, कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार को पुनः सक्रिय और प्रभावी बनाने, लगान माफी के बावजूद उसकी वसूली पर रोक लगाते हुए उसे ब्याज समेत वापस कराने, सर्वे में व्याप्त भ्रष्टाचार पर रोक लगाते हुए नदी के बीच की रैयत की जमीन का रकबा मालिक के नाम दर्ज कराने, लगान मुक्ति कानून, कोशी समस्या के विज्ञान सम्मत लोक भागीदारी से समाधान तलाने की मांग को लेकर निकाली गई है.
यात्रा में सभी उम्र के महिला पुरुष सैकड़ो की संख्या में बुलंद नारा लगाते, गीत गाते, अपनी मांगों का पर्चा बांटते नुक्कड़ सभा और मीटिंग करते हुए 14वें दिन 250 किलोमीटर चलकर 12 फरवरी को पटना पहुंचे.
आज गर्दनीबाग में सत्याग्रह का परमिशन नहीं मिलने की स्थिति में अवर अभियंता संघ भवन में संकल्प लेकर सत्याग्रह का समापन किया. समर्थन में किशोरी दास, गालिब, आशीष रंजन, उमेश राय, उदयन, अमरनाथ झा, मणिलाल, विनोद, धनंजय प्रियदर्शी, ऋषि इत्यादि सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे.
सत्याग्रह पदयात्रा में इंद्र नारायण सिंह, सिंघेश्वर राय, आलोक राय, प्रियंका, बबिता, रामचंद्र, सदरूल, राजेश मेहता, सुभाष, आरिफ, राहुल यादुका, चंद्र मोहन, शिवशंकर मंडल, संतोष मुखिया, संजय, सतीश, सुनील, संदीप, मनीष, रणवीर जयप्रकाश इत्यादि लोगों ने अपनी बातें रखीं. कार्यक्रम का संचालन महेंद्र यादव ने किया.
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