मालूम हो कि जिला के सभी दिव्यांगों को विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सदर अस्पताल मधेपुरा में हर बुधवार को विकलांगता जांच हेतु मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाता है। लेकिन अकसर देखा जाता है की मेडिकल बोर्ड में खानापूर्ति के लिए एक ही चिकित्सक रहते हैं । जबकि कान सम्बंधित आवेदन को सदर अस्पताल में कान सम्बंधित चिकित्सक नहीं रहने के कारण जांच हेतु बुनियाद केंद्र और जांच की रिपोर्ट को विकलांग प्रमाण पत्र में अंकित करने के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है। जिससे प्रमाण पत्र बनवाने आए आवेदकों को काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उसके बाद भी जब लोग मेडिकल कालेज पहुंचते हैं। तो चिकित्सक इस कार्य को करने के लिए तैयार नहीं होते हैं ।
इस बाबत आवेदक विकाश कुमार के द्वारा सिविल सर्जन मधेपुरा को आवेदन देकर बताया गया कि मेडिकल कॉलेज के कान से सम्बंधित ओपीडी में चिकित्सक डा. संतोष कुमार के पास विकलांगता प्रमाण पत्र हेतु गए। लेकिन चिकित्सक डा. संतोष ने उसे देखने से मना कर दिया। थककर इस बात की जानकारी जेएनकेटी मेडिकल कालेज के अधीक्षक को दी। तो उन्होंने बताया की चिकित्सक डा. संतोष ही यह करेंगे। उनको उनके पास पुनः भेज दिया। जब डा. संतोष के पास दुबारा गए तो डा. संतोष गुस्सा होकर चले गए।
जिसके कारण विकलांग प्रमाण पत्र बनाने वाले लोगो को भाग दौड़ में मानसिक, शारीरिक और आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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