इस कार्यकर्म में महिलाओं व उनकी उपलब्धियों के प्रति सम्मान प्रक्रट किया गया. आज आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, खेल हर क्षेत्र महिलाओं की उपलब्धियों से भरा हुआ है. इस कार्यकर्म में मानव श्रंखला का आयोजन कर के IWD 2022 का प्रतीक बना के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं के लिए सम्मान प्रकट किया गया.
इस अवसर पर आर्ट एंड कल्चर विभाग के इंचार्ज प्रो. मनोज कुमार साह ने अपने सम्बोधन में परिवार में महिलाओं के महत्व के बारे में बताया कि महिलाएं समाज की सच्ची शिल्पकार होती है. किसी समुदाय की प्रगति उस समुदाय की महिलाओं को समर्पित है. प्रो. मनोज कुमार साह ने अपने सम्बोधन में कहा कि जब आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं, तब सिर्फ एक आदमी शिक्षित होता है लेकिन जब आप एक औरत को शिक्षित करते हैं, तब एक पीढ़ी शिक्षित होती है.
उन्नत भारत अभियान के कोऑर्डिनेटर, प्रो. राज कुमार ने अपने सम्बोधन में बताया कि दुनिया की महिलाओं के बिना कल्पना करना भी मुश्किल है. आज के समय में महिलाएं देश और समाज दोनों के निर्माण में बेहद अहम भूमिका निभा रही हैं. अब पहले की तरह महिलाएं केवल घर की चहारदीवारी के अंदर बंद नहीं हैं. वह आज घर से बाहर निकलकर अपने हुनर को लोगों के सामने पेश कर रही हैं और समाज में एक सम्मान का स्थान प्राप्त कर रही है. महिला अपने परिवार और समाज का जिस तरह ध्यान रखती है उस जज्बे को सलाम करने के लिए हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है.
प्रोफ मुरलीधर प्रसाद सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि एक पुरुष की सफलता (Success) में एक महिला का बहुत बड़ा योगदान होता है. महिला अपने परिवार की खुशियों के लिए न जाने कितने त्याग करती है. महिलाओं के त्याग, समर्पण और क्षमताओं को सम्मान देने के लिए हर साल 8 मार्च को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) मनाया जाता है.
प्रो. सिकन्दर प्रसाद ने छात्र/छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मैं नारी शक्ति को नमन करता हूँ और इस मौके पर उन्हें सशक्त बनाने एवं आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक समानता स्थापित करने में अपना पूर्ण सहयोग करने का संकल्प लेता हूँ. वहीं प्रो. अखिलेश कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि औरत का कोई घर नहीं होता, लेकिन सच तो ये है कि औरत के बिना कोई घर नहीं होता.
इस अवसर पर प्रो. विनोद कुमार, प्रो. अजय गिरी, प्रो. मनीष जैसवाल, प्रो. चंदन कुमार, प्रो. मोहन कुमार मंगलम, प्रो. हक, प्रो. अरुण कुमार, प्रो. निधि सिन्हा ने कार्यकर्म में अपने-अपने विचार व्यक्त किये.
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