ऐसा कहा जा रहा कि मात्र 17 दिन पहले हुए अपने पत्नी के निधन का सदमा वे बर्दाश्त नहीं कर सके.
शोक सभा को संबोधित करते हुए भाकपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि बसंत बाबू सामाजिक सौहार्द के प्रतीक, प्रखर व्यक्तित्व के धनी एवं भतखोरा बाजार जीतापुर के पहचान थे. उन्होंने कहा कि उनके निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई है, जिसकी भरपाई निकट भविष्य में नहीं की जा सकती. श्री प्रभाकर ने उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की.
इस अवसर पर पूर्व प्रधानाध्यापक एवं शिक्षाविद राजेश्वर प्रसाद यादव ने कहा कि बसंत बाबू समाज के अनमोल रत्न थे, उनके कृतित्व और व्यक्तित्व को भुलाया नहीं जा सकता. वहीं जदयू के जिला उपाध्यक्ष विनोद कुमार ने कहा कि बसंत बाबू कई सांसद, विधायक और मंत्री के सानिध्य में रहे, विकाश और सद्भाव को मूर्तरूप देते रहे. वे सदैव ही समाज के लिए प्रेरणास्रोत बने रहेंगे.
शिक्षाविद मानिकचंद यादव ने कहा कि बसंत बाबू काफी निर्भीक एवं स्पष्टवादी थे. पूर्व सरपंच मोहम्मद सत्तार ने कहा कि बसंत बाबू इलाके में कई बार संप्रदायिक और जातीय उन्माद को रोक कर कीर्तिमान स्थापित किया है. भाजपा नेता महेंद्र कुमार साह उर्फ गब्बर ने कहा कि भतखोरा बाजार में मां दुर्गा की स्थापना और मंदिर के निर्माण में उनकी भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता.
इस अवसर पर लोजपा नेता युगल निषाद, भाकपा नेता शैलेंद्र कुमार, समाजसेवी प्रोफ़ेसर प्रेम लाल मंडल, भुवनेश्वरी महतो, रमेश कुमार शर्मा, प्रमोद कुमार गुप्ता, चंदन कुमार, अंकुश कुमार, विकास कुमार सिंह उर्फ बौआ, दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष अनिल कुमार सिंह के अलावे रूपेश कुमार सिंह, महादेव यादव, महेंद्र चौधरी, पिंटू कुमार साह, जनार्दन शाह, चंद्र किशोर झा, मन्नू सिंह आदि बड़ी संख्या में आम जन उपस्थित थे. मौके पर उपस्थित लोगों ने बसंत बाबू अमर रहे, हम तेरे अरमानों को मंजिल तक पहुंचाएंगे, आदि नारे लगाते रहे.
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