सोमवार की रात कथित उपद्रवी युवक द्वारा जहरीला कैमिकल अटैक की घटना को लेकर अस्पताल में तैनात डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी के बीच दहशत का माहौल है. वहीं घटना को लेकर भारी आक्रोश है.
घटना को लेकर मंगलवार को ओपीडी कक्ष में डीएस डॉक्टर डी.पी. गुप्ता की अध्यक्षता में बैठक हुई, बैठक में घटना पर चिन्ता जताते हुए उक्त घटना की निंदा की.
बैठक में डॉक्टरों ने कहा कि अस्पताल परिसर में दिन-रात असमाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है, ऐसे तत्व भोले-भाले रोगी और उनके परिवार को सदर अस्पताल में इलाज कराने के बजाय उसे निजी क्लिनिक में ले जाने के धंधे में रहते हैं जिसका बाधक अस्पताल में तैनात डॉक्टर होते हैं और अक्सर ऐसे तात्वों पर नजर रखते हैं, जिसके कारण कई बार डॉक्टर और स्वास्थ्य माफिया के बीच विवाद भी होता रहता है. ऐसी आशंका है कि सोमवार की घटना इसी का नतीजा है. आशंका है कि युवक जहरीला केमिकल का स्प्रे कर किसी बड़ी साजिश के तहत् डॉक्टरों पर निशाना साधे हुए थे.
डाक्टरों ने कहा कि अस्पताल में तैनात डॉक्टर पूरी तरह से असुरक्षित है. इस घटना के पूर्व 13 मई को कुछ स्वास्थ्य माफिया ने डाक्टर, स्वास्थ्य कर्मी और एंबुलेंस कर्मी के साथ दुर्व्यवहार किया था. ऐसे तत्व अस्पताल में आने वाले रोगी के परिजनों को दिग्भ्रमित कर रोगी को निजी क्लिनिक में ले जाकर उनका आर्थिक शोषण करते हैं. घटना को लेकर सदर थाना मे मामला दर्ज किया गया था. आशंका है कि उसी घटना की यह दूसरी कड़ी है.
उन्होंने कहा कि बार-बार अस्पताल में घट रही घटना की जानकारी जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को देकर डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी की सुरक्षा की मांग की गई है साथ ही अस्पताल में आर्म गार्ड की तैनाती की मांग की गई लेकिन आज तक मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया है. डॉक्टरों ने कहा कि एक तरफ कोरोना महामारी से डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी अपनी जान को जोखिम में डालकर सेवा कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ असमाजिक तत्व डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी के जान का दुश्मन बना हुआ है.
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन घटना को संजीदा से लेकर आगे की कार्रवाई करें अन्यथा डॉक्टरों को आगे की रणनीति तय करने के लिए विवश होना पड़ेगा. आगे कहा कि भय और दहशत तथा महामारी के बीच हम रोगी की सेवा के लिए कटिबद्ध हैं. उन्होंने पुलिस प्रशासन से कहा कि अस्पताल चौबीसों घंटे दलालों से पटा रहता है, ऐसे तत्व पर अविलम्ब कार्रवाई करें.
डॉक्टरों ने सिविल सर्जन पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि घटना के बाद सिविल सर्जन को सूचना देने का प्रयास किया लेकिन सीएस ने फोन तक नहीं उठाया. जबकि पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन की त्वरित कार्रवाई पर संतोष जताया. बैठक में डॉक्टर ओम नारायण, डॉक्टर फुल कुमार, डॉक्टर अनुपम सहित अन्य डॉक्टर शामिल थे.
घटना को लेकर मंगलवार को ओपीडी कक्ष में डीएस डॉक्टर डी.पी. गुप्ता की अध्यक्षता में बैठक हुई, बैठक में घटना पर चिन्ता जताते हुए उक्त घटना की निंदा की.
बैठक में डॉक्टरों ने कहा कि अस्पताल परिसर में दिन-रात असमाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है, ऐसे तत्व भोले-भाले रोगी और उनके परिवार को सदर अस्पताल में इलाज कराने के बजाय उसे निजी क्लिनिक में ले जाने के धंधे में रहते हैं जिसका बाधक अस्पताल में तैनात डॉक्टर होते हैं और अक्सर ऐसे तात्वों पर नजर रखते हैं, जिसके कारण कई बार डॉक्टर और स्वास्थ्य माफिया के बीच विवाद भी होता रहता है. ऐसी आशंका है कि सोमवार की घटना इसी का नतीजा है. आशंका है कि युवक जहरीला केमिकल का स्प्रे कर किसी बड़ी साजिश के तहत् डॉक्टरों पर निशाना साधे हुए थे.
डाक्टरों ने कहा कि अस्पताल में तैनात डॉक्टर पूरी तरह से असुरक्षित है. इस घटना के पूर्व 13 मई को कुछ स्वास्थ्य माफिया ने डाक्टर, स्वास्थ्य कर्मी और एंबुलेंस कर्मी के साथ दुर्व्यवहार किया था. ऐसे तत्व अस्पताल में आने वाले रोगी के परिजनों को दिग्भ्रमित कर रोगी को निजी क्लिनिक में ले जाकर उनका आर्थिक शोषण करते हैं. घटना को लेकर सदर थाना मे मामला दर्ज किया गया था. आशंका है कि उसी घटना की यह दूसरी कड़ी है.
उन्होंने कहा कि बार-बार अस्पताल में घट रही घटना की जानकारी जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को देकर डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी की सुरक्षा की मांग की गई है साथ ही अस्पताल में आर्म गार्ड की तैनाती की मांग की गई लेकिन आज तक मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया है. डॉक्टरों ने कहा कि एक तरफ कोरोना महामारी से डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी अपनी जान को जोखिम में डालकर सेवा कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ असमाजिक तत्व डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी के जान का दुश्मन बना हुआ है.
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन घटना को संजीदा से लेकर आगे की कार्रवाई करें अन्यथा डॉक्टरों को आगे की रणनीति तय करने के लिए विवश होना पड़ेगा. आगे कहा कि भय और दहशत तथा महामारी के बीच हम रोगी की सेवा के लिए कटिबद्ध हैं. उन्होंने पुलिस प्रशासन से कहा कि अस्पताल चौबीसों घंटे दलालों से पटा रहता है, ऐसे तत्व पर अविलम्ब कार्रवाई करें.
डॉक्टरों ने सिविल सर्जन पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि घटना के बाद सिविल सर्जन को सूचना देने का प्रयास किया लेकिन सीएस ने फोन तक नहीं उठाया. जबकि पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन की त्वरित कार्रवाई पर संतोष जताया. बैठक में डॉक्टर ओम नारायण, डॉक्टर फुल कुमार, डॉक्टर अनुपम सहित अन्य डॉक्टर शामिल थे.
उपद्रवी युवक के निशाने पर थे डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 07, 2020
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