'निजी स्कूल के प्रबंधक, शिक्षक और कर्मचारी हैं मानसिक तनाव में': मधेपुरा में एसोसिएशन की अहम् बैठक

मधेपुरा जिला मुख्यालय में आज जिला अध्यक्ष किशोर कुमार की अध्यक्षता में प्राईवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई. 

बैठक में कहा गया कि कोविड 19 की महामारी झेल रहे पूरे विश्व में सबसे अधिक प्रभावित शिक्षण संस्थान हुआ है. शिक्षण संस्थान से जुड़े लाखों लोग भुखमरी और आर्थिक तंगी की चपेट में है. मधेपुरा जिले के लगभग 500 निजी विद्यालयों में कार्यरत 10000 शिक्षक एवं अन्य कर्मचारी अब आर्थिक तंगी से कराहने लगे हैं. परिवार में भुखमरी की समस्या आ गयी है. मार्च महीने में लगे लॉकडाउन के समय यह मालूम नहीं था कि यह इतना लम्बा चलेगा, इसकी कोई पूर्व तैयारी निजी विद्यालयों के संचालक एवं कर्मचारियों ने नहीं कर रखा था. निजी विद्यालय संचालक अपने पूर्व घोषित कैलेंडर के अनुसार व्हाट्सअप ग्रुप, यू-ट्यूब, जूम एप के माध्यम से पढ़ाई प्रारंभ की गई. शिक्षक भी इस आशा में थे कि जल्द ही इस महामारी से मुक्ति मिल जाएगी और अभिभावकों के द्वारा स्कूल फीस जमा किया जाएगा लेकिन यह सब मुंगेरीलाल के हसीन सपने बन कर रह गए. सरकार के द्वारा स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं होने की वजह से अभिभावक भी फी देने में कोताही बरत रहे हैं.  

जिलाध्यक्ष ने कहा कि जहां तक मधेपुरा में ऑनलाइन क्लास के नाम पर फीस की बात है यह मांग जायज है. अप्रैल से ही बच्चे इससे लाभान्वित हुए हैं. कम से कम उन्हें मुख्य विषयों की पढ़ाई करवाई गई है. जहां तक मुझे जानकारी है अभिभावकों से फीस के लिए निजी विद्यालयों एवं कोचिंग संचालकों का आग्रह होता है लेकिन एक परसेंट भी अभिभावकों ने स्कूल फीस जमा नहीं करवाया है. 

उन्होंने कहा कि विद्यालय में मूलतः तीन प्रकार के अभिभावक होते हैं, पहला जो सरकारी सेवा में कार्यरत हैं. दूसरा व्यवसायी वर्ग के लोग. तीसरा किसान एवं मजदूर वर्ग के लोग. पहले वर्ग के जो अभिभावक हैं उन्हें सरकार के द्वारा प्रत्येक महीना वेतन मिल रहा है चाहे वह कार्यालय गए हो या नहीं. उसे इस लॉकडाउन से कोई फर्क नहीं पड़ा है तो क्या इस वर्ग से जुड़े लोगों को विद्यालय का ट्यूशन फी जमा नहीं करना चाहिए. अब मैं बात करना चाहूंगा तीसरे वर्ग के लोग जो किसान एवं मजदूर हैं. मधेपुरा बहुत बड़ा शहर नहीं है. हम सभी किसी न किसी गांव से जुड़े हुए हैं. मुझे तो ऐसा लगता है और मैंने देखा भी है किसान का सभी कार्य समय पर हो रहा है. फसल उग रहे हैं और बिकवाली भी चल रहा है. पहले भी इस वर्ग के अभिभावक फसल उपजाने के बाद ही विद्यालय फीस जमा करते थे. शायद इन्हें भी परेशानी नहीं होनी चाहिए. हां परेशानी में परेशानी दूसरे वर्ग के लोगों को 2 महीने रहा अब सभी प्रकार का बिजनेस कम ज्यादा चलने लगा है. तो क्या बच्चों के भविष्य निर्माता शिक्षक वर्ग के लोग ही इसमें मारे जाएं. जहां तक सभी को पता है निजी विद्यालयों एवं कोचिंग संचालकों को सरकार के द्वारा आंतरिक एवं बाह्य रूप से विकसित करने या होने के लिए किसी भी प्रकार का मदद नहीं दिया जाता है. 

आज इस प्रेस कांफ्रेस के माध्यम से सरकार से मांग कर रहा हूं कि सरकार के द्वारा 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई है तो इसमें शिक्षित बेरोजगार के द्वारा संचालित निजी विद्यालयों एवं कोचिंग संचालकों के लिए क्या प्रावधान किया गया. उस आर्थिक पैकेज से हमें मदद किया जाए. हम लोग इस लॉकडाउन अवधि का कोई भी फीस अभिभावकों से नहीं लेंगे यदि अभिभावक सहमत हैं तो अपने-अपने विद्यालयों में एवं कोचिंग संस्थानों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा कर इस मुहिम को सफल बनावे. 

प्राईवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद की अगुवाई में आज प्रदेश के 38 ज़िलों के मुख्यालयों में एसोसिएशन के जिला अध्यक्षों ने प्रेस वार्ता करके लॉकडाउन एवं कोरोना वायरस महामारी के कारण प्राईवेट स्कूलों के सामने आई समस्याओं की जानकारी देते हुये माननीय मुख्यमंत्री से एक वर्ष की विशेष आर्थिक सहायता की मांग की है. राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद ने कहा कि पूरे प्रदेश मे एसोसिएशन से जुड़े 25 हजार निजी विद्यालय के संचालक एवं शिक्षक एक लाख पत्र मुख्यमंत्री को भेजेंगे और उनको प्राईवेट स्कूलों के कर्मचारियों और उनसे जुड़े लगभग दस लाख परिजनों के सामने उत्पन्न कठिनाईयों व परेशानियों से अवगत करायेंगे. 

राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद ने कहा कि प्राईवेट विद्यालयों को सुचारू रूप से चलाने के लिए शिक्षण शुल्क ही एकमात्र साधन है. मार्च महीने से लॉकडाउन के कारण एवं अभिभावकों की आर्थिक स्थिति भी खराब होने से सभी विद्यालयों में शिक्षण शुल्क का संग्रह नहीं हो पाया है, जिसके कारण शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को वेतन दे पाना और सभी के लिए जीवनयापन करना अब असंभव हो गया है. इस स्थिति में भी शिक्षकगण कड़ी मेहनत करके ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं ताकि बच्चों की पढ़ाई बाधित ना हो.

शमायल अहमद ने कहा कि वेतन के अतिरिक्त हर विद्यालय के अन्य आवश्यक मासिक खर्चे भी हैं जैसे बिल्डिंग का किराया, बैंक के लोन की मासिक किस्त, मेंटेनेंस, गाड़ियों की ईएमआईए, बिजली का बिल इसके अलावा सभी टैक्स जिसमें कोई छूट नहीं दी गई है. इसके कारण प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधक, शिक्षक एवं कर्मचारी अत्यंत मानसिक तनाव में हैं जो बेहद जानलेवा है. अगर तुरंत आर्थिक सहायता नहीं मिलेगी तो अब तक लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं और आने वाले दिनों में बचे हुए लोग भी बेरोजगार हो जायेंगे. 

शमायल अहमद ने विशेष आग्रह किया है कि ट्रांसपोर्ट पर लगने वाले विभिन्न प्रकार के टैक्स को माफ़ किया जाये और इएमआई पर लगने वाले ब्याज को नहीं लिया जाये. शमायल अहमद ने माननीय मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि इसे तुरंत संज्ञान में लेते हुये सरकारी स्कूलों में प्रति बच्चा प्रतिमाह खर्च के आधार पर प्रत्येक प्राइवेट स्कूलों को उसके बच्चों की संख्या के अनुसार विद्यालय अकाउंट में एक वर्ष का विशेष आर्थिक सहायता ट्रांसफर करने का प्रावधान बनाएं और पैसा तुरंत ट्रांसफर करने का कष्ट करें ताकि सभी को वेतन दिया जा सके. सरकार की ओर से कोई दिशा-निर्देश ना होने की वजह से अभिभावकों एवं विद्यालय के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो रही है. इस पर सरकार को अविलंब दिशा-निर्देश देने की जरूरत है.

मौके पर जिला सचिव चंद्रिका यादव, प्रदेश सचिव अखिलेंद्र कुमार अनिल, जिला संयोजक चीरामणि प्रसाद यादव, प्रवक्ता मानव कुमार सिंह मीडिया प्रभारी, सुशील शांडिल्य कोषाध्यक्ष, अमरेंद्र कुमार सिन्हा, संरक्षक गजेंद्र कुमार, मधेपुरा प्रखंड अध्यक्ष श्यामल कुमार सुमित्र, सचिव अबू जफर, मनोज कुमार, निक्कू नीरज, सुरेश कुमार भारती, सुशील कुमार, राजेश कुमार, सिंघेश्वर प्रखंड से रूपेश कुमार, कुंदन कुमार, अमोद कुमार, बिहारीगंज प्रखंड से राजू खान, बृजेश कुमार इत्यादि उपस्थित रहे.
'निजी स्कूल के प्रबंधक, शिक्षक और कर्मचारी हैं मानसिक तनाव में': मधेपुरा में एसोसिएशन की अहम् बैठक 'निजी स्कूल के प्रबंधक, शिक्षक और कर्मचारी हैं मानसिक तनाव में': मधेपुरा में एसोसिएशन की अहम् बैठक Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 07, 2020 Rating: 5

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