मधेपुरा में भैंस चोरी की घटना के 22 दिन बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं हो सका है पीड़ित थाने का चक्कर काटते-काटते थक चुके हैं, उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर कहां जाएं. मामला सदर थाना का है.
पुलिस की कार्रवाई नहीं होने पर पीड़ित ने अपने स्तर पर भैंस का पता करने पर एक कथित चोर से भैंस दिलाने के नाम पर 50 हजार पर सौदा तय हुआ. पीड़ित ने व्यवस्था कर 30 हजार दिया लेकिन न तो भैंस मिली न ही पैसा. फिर न्याय के लिए सदर थाना में शुक्रवार को दस्तक दी है.
हुआ यूँ कि सदर थाना के साहुगढ़ पंचायत के भातू टोला निवासी महादलित विजल ऋषिदेव ने 6 नवम्बर को सदर थाना में आवेदन दिया कि 5 नवंबर को 12 बजे अज्ञात चोरों ने दो जोड़ा भैंस और दो पारा, एक पारी चुरा ले गये. जिसकी कीमत करीब दो लाख रूपये होगी. साथ ही बताया कि पता चला है कि चोर घोड़ा और पिकअप वाहन से आया था. पीड़ित के घटना को लेकर भैंस खोजने के दौरान भगवानपुर के एक युवक सिकन्दर ने आश्वासन दिया कि शाम तक भैंस मिल जायेगा.
पीड़ित की माने तो लम्बे समय तक पुलिस की कारवाई नहीं होने पर अपने स्तर से भैंस की खोज-बीन शुरू की तो सहरसा जिले के पतरघट में रहने वाले दामाद शिक्षक महेन्द्र सादा से सम्पर्क कर अपने आसपास भैंस का पता करने को कहा. दामाद ने ग्वालपाड़ा के रतन यादव से सम्पर्क कर चोरी की भैंस का पता करने को कहा तो कुछ देर बाद मोबाइल पर बात की कि भैंस सहित अन्य मवेशी का हुलिया वाला मवेशी मिलेगा लेकिन इसके एवज में 50 हजार रूपया लगेगा.
फिर दामाद ने अपने सुसराल में सूचना देते हुए रूपये की व्यवस्था करने और चलने की बात कही. फिर पीड़ित ने 30 हजार रूपये का व्यवस्था कर रतन से सम्पर्क किया तो वह टेकनमा नहर आने की बात कही. जब वहां पहुचे तो रतन ने रूपया लेकर और बीस हजार की मांग की और भैंस लेने मधुवन चलने की बात कही. जब पीड़ित मधुवन पहुंचे और रतन को मोबाइल किया तो मोबाइल स्वीच ऑफ आया जो अब तक बंद है.
पीड़ित ने कहा कि आवेदन पर पुलिस ने जांच की लेकिन सिर्फ दिखावा था, इसलिए आज तक भैंस बरामदगी तो दूर मामला तक दर्ज नहीं किया है.
पीड़ित कहते हैं कि अगर पुलिस भैंस दिलाने के लिए सौदा करती या गांव वाले लोगों से पूछताछ करती तो भैंस अवश्य मिल जाती. पीड़ित कहते हैं कि आखिर कहां जाय, महादलित को किस दीवार से न्याय मिलेगा.
वहीं पुलिस की माने तो आवेदन पर जांच की गयी है. मामला दर्ज करने पर चुप्पी साध रखी है.
मालूम हो कि लम्बे समय तक मामला न दर्ज करने का मामला सदर थाना का यह पहला मामला नही है. सदर थाना में मामला दर्ज करने के लिए प्रदेश के पुलिस पदाधिकारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा. इसी कारण तीन-तीन थानाध्यक्ष पर कार्रवाई की गयी लेकिन सदर थाना में फिर भी ऐसा मामला मिलना चिंताजनक है.
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZ1_lnjDRIa1991PCY4R4jzh1eHxN8um_yDuMbjhAZBZKCi-SpPrAvftnZFji6ko8eTUDWXpbGPkdECSj4g_I5RO9i1sg3GpxJox5d_FFgQXdR53dUaZ5veQVmoeax-X-rdDXemnkWosw/s640/Piyush+Raj.png)
पुलिस की कार्रवाई नहीं होने पर पीड़ित ने अपने स्तर पर भैंस का पता करने पर एक कथित चोर से भैंस दिलाने के नाम पर 50 हजार पर सौदा तय हुआ. पीड़ित ने व्यवस्था कर 30 हजार दिया लेकिन न तो भैंस मिली न ही पैसा. फिर न्याय के लिए सदर थाना में शुक्रवार को दस्तक दी है.
हुआ यूँ कि सदर थाना के साहुगढ़ पंचायत के भातू टोला निवासी महादलित विजल ऋषिदेव ने 6 नवम्बर को सदर थाना में आवेदन दिया कि 5 नवंबर को 12 बजे अज्ञात चोरों ने दो जोड़ा भैंस और दो पारा, एक पारी चुरा ले गये. जिसकी कीमत करीब दो लाख रूपये होगी. साथ ही बताया कि पता चला है कि चोर घोड़ा और पिकअप वाहन से आया था. पीड़ित के घटना को लेकर भैंस खोजने के दौरान भगवानपुर के एक युवक सिकन्दर ने आश्वासन दिया कि शाम तक भैंस मिल जायेगा.
पीड़ित की माने तो लम्बे समय तक पुलिस की कारवाई नहीं होने पर अपने स्तर से भैंस की खोज-बीन शुरू की तो सहरसा जिले के पतरघट में रहने वाले दामाद शिक्षक महेन्द्र सादा से सम्पर्क कर अपने आसपास भैंस का पता करने को कहा. दामाद ने ग्वालपाड़ा के रतन यादव से सम्पर्क कर चोरी की भैंस का पता करने को कहा तो कुछ देर बाद मोबाइल पर बात की कि भैंस सहित अन्य मवेशी का हुलिया वाला मवेशी मिलेगा लेकिन इसके एवज में 50 हजार रूपया लगेगा.
फिर दामाद ने अपने सुसराल में सूचना देते हुए रूपये की व्यवस्था करने और चलने की बात कही. फिर पीड़ित ने 30 हजार रूपये का व्यवस्था कर रतन से सम्पर्क किया तो वह टेकनमा नहर आने की बात कही. जब वहां पहुचे तो रतन ने रूपया लेकर और बीस हजार की मांग की और भैंस लेने मधुवन चलने की बात कही. जब पीड़ित मधुवन पहुंचे और रतन को मोबाइल किया तो मोबाइल स्वीच ऑफ आया जो अब तक बंद है.
पीड़ित ने कहा कि आवेदन पर पुलिस ने जांच की लेकिन सिर्फ दिखावा था, इसलिए आज तक भैंस बरामदगी तो दूर मामला तक दर्ज नहीं किया है.
पीड़ित कहते हैं कि अगर पुलिस भैंस दिलाने के लिए सौदा करती या गांव वाले लोगों से पूछताछ करती तो भैंस अवश्य मिल जाती. पीड़ित कहते हैं कि आखिर कहां जाय, महादलित को किस दीवार से न्याय मिलेगा.
वहीं पुलिस की माने तो आवेदन पर जांच की गयी है. मामला दर्ज करने पर चुप्पी साध रखी है.
मालूम हो कि लम्बे समय तक मामला न दर्ज करने का मामला सदर थाना का यह पहला मामला नही है. सदर थाना में मामला दर्ज करने के लिए प्रदेश के पुलिस पदाधिकारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा. इसी कारण तीन-तीन थानाध्यक्ष पर कार्रवाई की गयी लेकिन सदर थाना में फिर भी ऐसा मामला मिलना चिंताजनक है.
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22 दिन बाद भी नहीं हुआ मामला दर्ज, पीड़ित काट रहे थाने का चक्कर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 22, 2019
Rating:
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