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मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को औराही एकपरहा पंचायत के वार्ड संख्या 4 निवासी वकील पासवान अपनी पत्नी सीता देवी को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गम्हरिया में मंगलवार को 10:00 बजे दिन में पहुंचे पहुंचने के बाद उनका उपचार शुरू किया गया. उपचार शुरू होने के बाद सीता देवी को नर्स के द्वारा एक सुई दिया गया जिसके बाद उन्हें प्रसव रूम में रखा गया. काफी देर होने के बाद सीता देवी की सास जयमाला देवी प्रसव कक्ष में पहुंचकर मरीज की जानकारी ली तो नर्सों के द्वारा बताया गया कि कुछ देर बाद नार्मल डिलीवरी हो जाएगी. इसके लिए आप लोगों को पांच सौ रुपए देना होगा. यह बात सुनकर जयमाला देवी ने कहा कि आप नॉर्मल डिलीवरी करवाइए हम आपको रुपए देंगे. मगर नर्स के द्वारा यह कहा जा रहा था कि पहले रुपए दीजिए उसके बाद नार्मल डिलीवरी होगी देखते ही देखते काफी देर हो गई. मरीज की हालत बिगड़ती गई और समय बीतता गया. रात करीब 8 बजे नर्सों के द्वारा मरीज को मारपीट भी किया गया एवं बच्चे का सर बाहर निकल आया था. मगर नर्स के द्वारा नॉर्मल डिलीवरी नहीं कराया गया. वहीं रात करीब दस बजे मरीज को गम्हरिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से मधेपुरा रेफर कर दिया गया रफर की बात सुनते ही परिजनों ने अस्पताल कर्मी से एंबुलेंस की मांग की तो बताया कि एंबुलेंस खराब है. इस बात को सुनते ही परिजनों के द्वारा एक टेंपो का व्यवस्था कर लाया गया और उसे मधेपुरा के नवजीवन नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया जहां डिलीवरी होने के बाद डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया.
डॉक्टरों के द्वारा बताया गया कि काफी देर पहले बच्चे की मौत हो चुकी है. इसी बात को लेकर परिजनों ने बुधवार को गम्हरिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बवाल काटा. घटना की सूचना मिलते ही प्रभारी थाना अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद दल बल के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर मामले को शांत कराने की कोशिश की. वहीं जन प्रतिनिधि प्रखंड प्रमुख शशि कुमार एवं अन्य लोगों के मदद से मामले को शांत किया गया.
मौत की खबर सुनकर सभी स्टाफ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र छोड़कर भाग गए हैं जिस बात को लेकर प्रखंड प्रमुख ने जिला सिविल सर्जन को इस बात की जानकारी दी और सदर अनुमंडल पदाधिकारी वृंदा लाल को भी इस बात से अवगत कराया गया.
सूचना मिलने पर सिविल सर्जन एवं सदर अनुमंडल पदाधिकारी गम्हरिया पहुंचकर मामले की जांच की. जांच के बाद उन्होंने बताया कि एंबुलेंस की समस्या तो है और इस समस्या को दूर करने के लिए एक नए एंबुलेंस की व्यवस्था की जा रही है. वहीं सिविल सर्जन ने बताया कि एंबुलेंस पूरे जिला में समस्या है. जबसे एनजीओ को एंबुलेंस के देखरेख में दे दिया गया है तब से एंबुलेंस की समस्या उत्पन्न हो गई है और कभी भी एंबुलेंस ठीक नहीं रहता है. साफ सफाई की बात को लेकर भी जनप्रतिनिधि ने एसडीओ को अवगत कराया. वहीं एसडीओ ने साफ सफाई की बात को लेकर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से बात की तो उन्होंने बताया कि यह देख रेख भी एनजीओ के अंदर आता है और यहां बेडशीट से लेकर साफ-सफाई खाना-पीना सारा एनजीओ के अंदर है जो काफी दयनीय स्थिति में है. अब जब अधिकारी ही इस तरह की बातें करें तो कुल मिलाकर यदि यह कहा जाय कि जिले में सरकारी अस्पताल मौत बाँट रहे हैं तो अनुचित नहीं होगा.
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नर्स को नहीं दिए पांच सौ रुपए तो नहीं हुई नॉर्मल डिलीवरी, प्रसव के दौरान हुई बच्चे की मौत
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 31, 2019
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