मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर मंदिर परिसर के बीच चबूतरा में लगे लगभग 70 साल पुराना अशोका का वृक्ष मंदिर परिसर में ही गिर गया ।
वृक्ष पहले से ही बड़े छेद के कारण खोखला होकर दो भागों में बंट गया था जिसका एक भाग पूरब की ओर राम-जानकी मंदिर के छत पर जा गिरा । हालांकि पेड़ गिरने के कारण मंदिर में पूजा करने वाले श्रृद्धालुओं को किसी प्रकार की क्षति नहीं हुई है ।
वहीँ आशंका है कि दूसरा भाग भी खोखला जड़ के कारण कभी के कारण कभी भी गिर सकता है । इस भाग के मोटे तने को छांट दिया जाय तो वृक्ष का वजन कम होने से खतरा को कम किया जा सकता है ।
इस बावत पुजारी प्रेम जी पंडा ने बताया कि हमारे पिताजी ने बताया कि लगभग 1960 के दशक में आग ने इस पेड़ को सुखा दिया था पर कुछ दिनों के बाद बाद उसी के टूटे जड़ से फिर नया पौघा पनपा जो आज विशाल अशोका वृक्ष का वृक्ष है । रख रखाव और उचित देखभाल के अभाव में आज एक भाग गिर गया है । दूसरे भाग की भी सही देखभाल नहीं हुई तो मंदिर से सभी का शोक हरने वाला अशोका नहीं बचेगा ।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEheKIbtMYtrE_Lwg1Eu4Rrd9Mv_3PS-EFIt9U2tQTUWgl0A8PhkfiRslr8gzdLKWm2mCyTDEnAUs9FaqJAH0dhx06Ul0A66jCdyF2jq_LUeb7YxR_ErvxqlI_ST4vs_9ej9ugiDtdhlX7I/s1600/Dr+IC+Bahgat+SUB-EDITOR.jpg)
वृक्ष पहले से ही बड़े छेद के कारण खोखला होकर दो भागों में बंट गया था जिसका एक भाग पूरब की ओर राम-जानकी मंदिर के छत पर जा गिरा । हालांकि पेड़ गिरने के कारण मंदिर में पूजा करने वाले श्रृद्धालुओं को किसी प्रकार की क्षति नहीं हुई है ।
वहीँ आशंका है कि दूसरा भाग भी खोखला जड़ के कारण कभी के कारण कभी भी गिर सकता है । इस भाग के मोटे तने को छांट दिया जाय तो वृक्ष का वजन कम होने से खतरा को कम किया जा सकता है ।
इस बावत पुजारी प्रेम जी पंडा ने बताया कि हमारे पिताजी ने बताया कि लगभग 1960 के दशक में आग ने इस पेड़ को सुखा दिया था पर कुछ दिनों के बाद बाद उसी के टूटे जड़ से फिर नया पौघा पनपा जो आज विशाल अशोका वृक्ष का वृक्ष है । रख रखाव और उचित देखभाल के अभाव में आज एक भाग गिर गया है । दूसरे भाग की भी सही देखभाल नहीं हुई तो मंदिर से सभी का शोक हरने वाला अशोका नहीं बचेगा ।
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सिंहेश्वर मंदिर परिसर में मौजूद लगभग 70 साल पुराना अशोका का पेड़ गिरा, कोई हताहत नहीं
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 27, 2019
Rating:
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