मुरलीगंज में नहर टूटी, सैंकड़ों एकड़ धान की फसल बर्बाद

मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड अंतर्गत हरिपुरकला पकिलार में पिछली रात नहर में पानी छोड़े जाने के कारण फिर नहर का कहर शुरू हो गया है.
नहर टूट गई जिसकी वजह से सैकड़ों एकड़ में लगी धान की पकी हुई फसल एक बार फिर जल मग्न हो गई. प्राप्त जानकारी के अनुसार मुरलीगंज रेलवे स्टेशन से थोड़ा पूर्व पकिलपार वितरणी नहर  रविवार देर रात फिर से टूट गई नहर में अचानक आए तेज रफ्तार पानी और नहर की जर्जरता की वजह से फिर एक बार पकी हुई धान की फसल जल में डूब गई.
       ग्रामीणों ने सिंचाई विभाग और कृषि पदाधिकारी विनोद कुमार श्रीवास्तव एवं  कार्यपालक अभियंता अर्जुन चौधरी के  खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और अविलंब नहर के पानी को रोके जाने की मांग की. पिछले कुछ दिन जब नहर में पानी नहीं थी तो मरम्मत नहीं की गई जिसके कारण टूटे हुए नहर में फिर से पानी छोड़ा गया और यह समस्या उत्पन्न हुई. कुछ दिन पूर्व यह नहर मुरलीगंज रेलवे स्टेशन से पूरब टूटी थी जिसे बांधने के लिए लाखों रुपए के वारे-न्यारे किए गए. मरम्मत के नाम पर बस खाना पूर्ति की गई. ग्रामीणों के अनुसार हकीकत में  कुछ बोरे मिट्टी  भर खाना पूर्ति भर की गई, जिसके कारण हल्की सी पानी के रफ्तार को भी नहीं झेल पाई और किसानों की फसल दूसरी दफा, जो अब कटने पर थी, पानी में डूब गई.
     दूसरी ओर पाकिलपार नारायणपुर के पास साइफन की भी स्थिति काफी  जर्जर बनी हुई है. साइफन में दो जगहों पर बड़ा हॉल बना हुआ है जिससे काफी मात्रा में पानी नीचे की ओर से गिरती हुई किसानो के खेत की तरफ बढ़ जाती है. खेतों में धान की बाली पकी हुई है और लोग परेशान हैं. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि हम लोगों की काफी क्षति  हुई है धान तो बर्बाद हो रहा है लेकिन साथ-साथ मक्के की फसल भी नहीं होगी किसानों में आपको ओर व्याप्त है प्रशासन मौन है.
पंचायत समिति सदस्य हरिपुर कला प्रमोद कुमार ने कहा कि किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है संबंधित निकाय के अधिकारी की उदासीनता के कारण आज किसान बेहाल है हम चाहते हैं कि संबंधित निकाय के पदाधिकारी इसकी जांच कर उचित कार्रवाई की जाए और किसानों को उचित मुआवजा उपलब्ध करवाया जाए.
वार्ड सदस्य प्रतिनिधि पवन यादव ने कहा कि जब लाखों की लागत से नहर का बांध बाधा गया था और वह महीने भर भी नहीं टिक पाया जिसके कारण आज यही स्थिति उत्पन्न हुई है. कहीं कहीं बड़ी अनियमितता की गई है और इससे किसानों पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है.
किसान रघु यादव कहते हैं किसानों की समस्या कोई नहीं सुनता है हमलोगों के कई एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो गई कृषि विभाग को सूचना देने पर कोई कार्यवाही नहीं करते अब हम लोगों की रबी की फसल मक्का गेहूं तिलहन वह भी प्रभावित हो गई लाखों का नुकसान हुआ इसका हर्जाना कौन भरेगा?
युवा किसान संजीव कुमार ने बताया कि हमारी 12 बीघा धान की फसल पककर पानी में गिर गई काटने के लिए कोई  मजदूर भी  नहीं आते  हैं और  यह  कहते  है पानी  कैसे  करें कटाई अगर अभिलंब नहर के पानी को बंद नहीं करवाया जाता है तो काफी नुकसान होगा.
धान काट रहे कामेश्वर श्रृषिदेव ने कहा कि पानी में धान काटने में काफी परेशानी हो रही है. खेत में टेबुल लगाकर धान काटते हैं और दूर ले जाकर उनसे स्थान पर रखते हैं अगर जल्दी से जल्दी धान के पानी को नहीं निकाला गया तो खेत में ही यह अंकुरण देने लगेगा.
      विरोध प्रदर्शन में मुख्य रूप से श्री किसान गोल्ड मेडलिस्ट चंद किशोर यादव, वार्ड सदस्य प्रतिनिधि पवन यादव, सीताराम यादव, पंचायत समिति सदस्य प्रमोद कुमार, बालो यादव, नरेश यादव, बबलू यादव, ज्योतिष कुमार, प्रभात कुमार, अजय कुमार, रघुनंदन यादव तथा अन्य ग्रामीण मौजूद थे. 
(रिपोर्ट: संजय कुमार)
मुरलीगंज में नहर टूटी, सैंकड़ों एकड़ धान की फसल बर्बाद मुरलीगंज में नहर टूटी, सैंकड़ों एकड़ धान की फसल बर्बाद Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 24, 2016 Rating: 5

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