जदयू के प्रदेश प्रवक्ता बनने पर निखिल मंडल ने मधेपुरा टाइम्स से कहा, ‘बिना फल की सोचे मेहनत करें, तो मेहनत बेकार नहीं जाती’
बिहार प्रदेश जनता दल यू के पार्टी अधिकारियों की नई सूची में प्रदेश प्रवक्ता के रूप में मधेपुरा के निखिल मंडल का नाम शामिल किया गया है. प्रदेश जदयू के द्वारा इस पद की जिम्मेदारी पाने वाले वे कोशी के अकेले युवा हैं. बिहार के जदयू पार्टी प्रवक्ता के कुल सात लोगों की सूची में निखिल मंडल का नाम होना बिहार की राजनीति में एक बार फिर मधेपुरा को चर्चा में लाता है.
हालांकि इनकी योग्यता और कार्यकुशलता को जानने वालों को शायद इस बात का अंदाजा पहले से था कि जिस तरह से जदयू में योग्य और कर्मठ लोगों को महत्वपूर्ण जवाबदेही दी जा रही है वैसे में उच्च योग्यता प्राप्त कई भाषाओं के जानकार निखिल को पार्टी किसी बड़े पद के लिए नामित कर सकती है.
प्रोफाइल पर एक नजर: मंडल मसीहा स्व० बी० पी० मंडल के पौत्र और पूर्व विधायक मनिन्द्र कुमार मंडल ‘ओम बाबू’ के पुत्र निखिल मंडल 35 वर्ष से भी कम आयु के हैं. 16 सितम्बर 1981 को जन्में निखिल मंडल ने पटना कॉलेज से इंटरमीडिएट करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास विषय से स्नातक की और इन्होने दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से ही समाजशास्त्र में एम.ए की डिग्री हासिल की है. इसके अलावे जर्मन भाषा और कम्प्यूटर में सर्टिफिकेट कोर्स करने के साथ इन्होने सिम्बायोसिस, पुणे से एमबीए किया. राजनीति और क़ानून में गहरी रुचि रखने वाले निखिल मंडल ने एलएलबी और एलएलएम की भी योग्यता हासिल की. किरोड़ीमल कॉलेज में पढ़ाई के दौरान सेकंड ईयर में स्टूडेंट यूनियन का चुनाव लड़ा और जीत कर जेनेरल सेक्रेटरी भी बने. अनुभव के लिए वर्ष 2003 में निखिल ने प्रॉक्टर एंड गैम्बल कंपनी ज्वाइन की उसके बाद idbi बैंक में नौकरी की. पर वर्ष 2005 में पिताजी के चुनाव में आने के लिए जॉब छोड़ी और उसके बाद से जदयू में लगातार सेवा भाव से सक्रिय रहे. निखिल ने 2008 में पटना हाई कोर्ट अधिवक्ता के रूप में भी ज्वाइन किया और वर्ष 2009 में इनकी शादी पूर्व विधि मंत्री और वर्तमान आलमनगर (मधेपुरा) विधायक नरेंद्र नारायण यादव की पुत्री से हुई.
बिहार प्रदेश जनता दल यू के पार्टी अधिकारियों की नई सूची में प्रदेश प्रवक्ता के रूप में मधेपुरा के निखिल मंडल का नाम उन्हें खुद चौंका गया. शांत होकर ईमानदारी से पार्टी के लिए लगातार काम करने वाले निखिल मंडल को पार्टी नेतृत्व इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने पर जब मधेपुरा टाइम्स ने उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उनका जवाब था, “जिस तरह से मेरे जैसे गुमनाम और अदने से कार्यकर्ता को संगठन में इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गयी उससे तो यही कहा जा सकता है कि बिना फल की सोचे अगर आप मेहनत करे तो मेहनत कभी बेकार नहीं जाती.”
जाहिर है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के सधे नेतृत्व को जब निखिल मंडल की जरूरत महसूस हुई है तो मधेपुरा की इनसे और भी उम्मीदें बंधना स्वाभाविक ही है.
हालांकि इनकी योग्यता और कार्यकुशलता को जानने वालों को शायद इस बात का अंदाजा पहले से था कि जिस तरह से जदयू में योग्य और कर्मठ लोगों को महत्वपूर्ण जवाबदेही दी जा रही है वैसे में उच्च योग्यता प्राप्त कई भाषाओं के जानकार निखिल को पार्टी किसी बड़े पद के लिए नामित कर सकती है.
प्रोफाइल पर एक नजर: मंडल मसीहा स्व० बी० पी० मंडल के पौत्र और पूर्व विधायक मनिन्द्र कुमार मंडल ‘ओम बाबू’ के पुत्र निखिल मंडल 35 वर्ष से भी कम आयु के हैं. 16 सितम्बर 1981 को जन्में निखिल मंडल ने पटना कॉलेज से इंटरमीडिएट करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास विषय से स्नातक की और इन्होने दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से ही समाजशास्त्र में एम.ए की डिग्री हासिल की है. इसके अलावे जर्मन भाषा और कम्प्यूटर में सर्टिफिकेट कोर्स करने के साथ इन्होने सिम्बायोसिस, पुणे से एमबीए किया. राजनीति और क़ानून में गहरी रुचि रखने वाले निखिल मंडल ने एलएलबी और एलएलएम की भी योग्यता हासिल की. किरोड़ीमल कॉलेज में पढ़ाई के दौरान सेकंड ईयर में स्टूडेंट यूनियन का चुनाव लड़ा और जीत कर जेनेरल सेक्रेटरी भी बने. अनुभव के लिए वर्ष 2003 में निखिल ने प्रॉक्टर एंड गैम्बल कंपनी ज्वाइन की उसके बाद idbi बैंक में नौकरी की. पर वर्ष 2005 में पिताजी के चुनाव में आने के लिए जॉब छोड़ी और उसके बाद से जदयू में लगातार सेवा भाव से सक्रिय रहे. निखिल ने 2008 में पटना हाई कोर्ट अधिवक्ता के रूप में भी ज्वाइन किया और वर्ष 2009 में इनकी शादी पूर्व विधि मंत्री और वर्तमान आलमनगर (मधेपुरा) विधायक नरेंद्र नारायण यादव की पुत्री से हुई.
बिहार प्रदेश जनता दल यू के पार्टी अधिकारियों की नई सूची में प्रदेश प्रवक्ता के रूप में मधेपुरा के निखिल मंडल का नाम उन्हें खुद चौंका गया. शांत होकर ईमानदारी से पार्टी के लिए लगातार काम करने वाले निखिल मंडल को पार्टी नेतृत्व इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने पर जब मधेपुरा टाइम्स ने उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उनका जवाब था, “जिस तरह से मेरे जैसे गुमनाम और अदने से कार्यकर्ता को संगठन में इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गयी उससे तो यही कहा जा सकता है कि बिना फल की सोचे अगर आप मेहनत करे तो मेहनत कभी बेकार नहीं जाती.”
जाहिर है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के सधे नेतृत्व को जब निखिल मंडल की जरूरत महसूस हुई है तो मधेपुरा की इनसे और भी उम्मीदें बंधना स्वाभाविक ही है.
(वि.सं.)
जदयू के प्रदेश प्रवक्ता बनने पर निखिल मंडल ने मधेपुरा टाइम्स से कहा, ‘बिना फल की सोचे मेहनत करें, तो मेहनत बेकार नहीं जाती’
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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February 05, 2016
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