'क्यों सो गए दास्तां लिखते-लिखते...': स्वच्छ तथा बेबाक पत्रकारिता के पर्याय देवनंदन राय नहीं रहे

मधेपुरा और कोशी में पत्रकारिकता जगत को एक नई दिशा और दशा देने वाले दिग्गज पत्रकार देवनंदन राय अब इस दुनिया में नहीं रहे. उनका निधन बीती रात उनके पैतृक गांव उदाकिशुनगंज प्रखंड क्षेत्र के जौतेली पंचायत अंतर्गत रहुआ में दिल का दौरा पडने से हो गया. और उनके निधन के साथ ही मधेपुरा जिले में स्वच्छ और निर्भीक पत्रकारिता का एक अध्याय ख़त्म हो गया.
    स्व. देव नंदन राय अपनी पढ़ाई के दौरान ही भागलपुर से निकलने वाले एक सप्ताहिक पत्रिका में 1985 ई. से लेखनी की षुरूआत की थी और उसके बाद विभिन्न राष्ट्रीय और प्रादेशिक समाचार पत्रो के लिए लिखते रहे थे.  वर्तमान में भी वे प्रभात खबर के संवाददाता के रूप में काम कर रहे थे. पत्रकारिकता जगत में वे बेबाक टिप्पणी,  स्वतंत्र अभिव्यक्ति, स्वच्छ और निडर पत्रकारिकता के लिए जाने जाते थे.
       उनका जन्म 14 दिसबंर 1961 ईं. को प्रखंड क्षेत्र के रहुआ गांव में हुआ था. उनके पिता स्व. रामकरण राय एक साधारण किसान थे. उन्होंने वर्ष 1987 ई. में भागलपुर टीएनबी कॉलेज से एमए की डिग्री प्राप्त की और उदाकिशुनगंज अनुमंडल से उन्होंने 1988 ई. से दैनिक अखबार में पत्रकारिकता शुरू की. तीन दशक से अधिक तक पत्रकारिता करने वाले स्व० राय अनुमंडल क्षेत्र में पत्रकारो के अच्छे मार्गदर्शक भी रहे. उनके अंतिम दर्शन के लिए जिले के पत्रकार एवं राजनैतिक दल के नेताओं व समाज के प्रबुद्धजनो की भीड उमड पडी.
    जिला मुख्यालय में जहाँ मधेपुरा प्रेस क्लब के अध्यक्ष देव नारायण साहा ने स्व० राय के निधन को अपूरणीय क्षति कहा वहीँ  अमिताभ, धर्मेन्द्र भारद्वाज, रूपेश, राकेश सिंह, डा. आई सी भगत,  रूद्र नारायण यादव, सुलेंद्र, कुमार शंकर सुमन, तुरबसु, बंटी सिह, मनीष वत्स, मुरारी सिंह, महताब अहमद, रंजन, निरज झा, रवि शर्मा, मुकेश झा, मानस चंद्र सेतू आदि  ने उनके निधन पर गहरी संवेदना प्रकट की है.
       उदाकिशुनगंज अनुमंडल के पत्रकार दिलीप दीप ने कहा कि इस अति पिछडे क्षेत्र के लिए उनकी लेखनी सदैव आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक चेतना के लिए आग उगलती थी. विषय और परिस्थितियो से मुकाबला करने के साथ साथ उन्होंने निर्भीक और निडर पत्रकारिकता के साथ कभी किसी से समझौता नहीं किया. रूद्रण भरे स्वर से उनके मि़त्र पत्रकार दीप ने कहा कि....क्यों सो गए उदाकिशुनगंज की दास्तां लिखते लिखते. उनके निधन पर पत्रकार कुमार अभिमन्यू ने कहा कि बडे भाई राय साहब हमलोगो के पथ प्रदर्शक थे और जब भी कोई पत्रकार विषम परिस्थिति में हुआ करते थे तब श्री राय एक अभिभावक के रूप में खडा हुआ करते थे. पत्रकार विनोद विनीत ने कहा कि मै तो बहुत पीछे पत्रकारिकता में आया, किंतु उनकी सादगी, निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिकता को मैं अपने जीवन में अक्षरश: याद रखूंगा. पत्रकार डा. सिकेंद्र कुमार सुमन ने उनके निधन पर सिर्फ इतना ही कहा कि अनुमंडल ने पत्रकारिकता जगत का एक सपूत खो दिया
       स्व० देव नंदन राय की शव यात्रा में जहां हजारों ग्रामीणो की आँखें नम थी वहीँ वहीं अनुमंडल समेत जिले के सभी पत्र पत्रिकाओं के पत्रकार शामिल हुए. मुख्य रूप से प्रदीप आर्या, सुरेंद्र कुमार, अख्तर वसीम, शेख यहिया सिद्धकी, विनोद कुमार आजाद, बिपीन बिहारी, सुबोध सौरभ, रमण कुमार रत्न, कमलेश चौधरी, रवि संत, राजकुमार आदि ने दिवंगत की अंतिम यात्रा में शरीक होकर संवेदना जाहिर की. पिता के शव को मुखाग्नि एकलौते पुत्र गुलशन कुमार ने दी. स्व. राय अपने पीछे पांच पुत्री, एक पुत्र छोड गए.
(मधेपुरा टाइम्स के लिए मंजू कुमारी और अख्तर वसीम की रिपोर्ट)
'क्यों सो गए दास्तां लिखते-लिखते...': स्वच्छ तथा बेबाक पत्रकारिता के पर्याय देवनंदन राय नहीं रहे 'क्यों सो गए दास्तां लिखते-लिखते...': स्वच्छ तथा बेबाक पत्रकारिता के पर्याय देवनंदन राय नहीं रहे Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on February 06, 2016 Rating: 5

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