बिहार में मंदिरों में आमदनी का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति हमेशा से जनहित का कार्य करने का खोखला दावा करती रही है.
जनहित के कई मुदे समिति मे उठाये गये और पास भी हुए, लेकिन अब तक उस पर अमल नही हो सका है. पुजारी मुन्ना गुप्ता बताते है मंदिर न्यास के सदस्य संवेदनहीन है कि जनहित के कार्य उन्हे दिखाई नहीं देते. पूर्व में बडी धर्मशाळा ग़रीबों का बड़ा आश्रय स्थल था, जहाँ गरीब और लाचार व्यक्ति नि:शुल्क आराम फरमाते थे. गरीब लोग घर से सत्तू बांध कर बाबा की पूजा करने आते थे और उस आश्रय स्थल की छाँव मे रुक कर बाबा की महिमा बखान कर आराम करते थे.
आज सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति आमदनी में बिहार मे दूसरा स्थान रखता है, उसी मंदिर परिसर मे आज पीने योग्य पानी की सुविधा भी नहीं है. 13 फरवरी के बैठक में निर्णय लिया गया था कि मंदिर परिसर में गरीब व लाचार व्यक्तियो के लिये नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवा शिविर चलाया जायेगा. पर ये फैसला आज तक अमल मे नही लाया जा सका है. जबकि कुछ चिकित्सको ने अपनी सेवा देने की इच्छा दर्शाई थी.
पुर्व मे मंदिर परिसर मे रात्रि में ठहरने वाले साधु-संतो को न्यास के द्वारा भोजन कराने की व्यवस्था थी जो कई सालों से न्यास के सदस्यो की उदासीनता के कारण बंद है. कुल मिला कर खाना पूर्ति के लिये ही बैठकों का आयोजन होता प्रतीत हो रहा है. (क्रमश:)
जनहित के कई मुदे समिति मे उठाये गये और पास भी हुए, लेकिन अब तक उस पर अमल नही हो सका है. पुजारी मुन्ना गुप्ता बताते है मंदिर न्यास के सदस्य संवेदनहीन है कि जनहित के कार्य उन्हे दिखाई नहीं देते. पूर्व में बडी धर्मशाळा ग़रीबों का बड़ा आश्रय स्थल था, जहाँ गरीब और लाचार व्यक्ति नि:शुल्क आराम फरमाते थे. गरीब लोग घर से सत्तू बांध कर बाबा की पूजा करने आते थे और उस आश्रय स्थल की छाँव मे रुक कर बाबा की महिमा बखान कर आराम करते थे.
आज सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति आमदनी में बिहार मे दूसरा स्थान रखता है, उसी मंदिर परिसर मे आज पीने योग्य पानी की सुविधा भी नहीं है. 13 फरवरी के बैठक में निर्णय लिया गया था कि मंदिर परिसर में गरीब व लाचार व्यक्तियो के लिये नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवा शिविर चलाया जायेगा. पर ये फैसला आज तक अमल मे नही लाया जा सका है. जबकि कुछ चिकित्सको ने अपनी सेवा देने की इच्छा दर्शाई थी.
पुर्व मे मंदिर परिसर मे रात्रि में ठहरने वाले साधु-संतो को न्यास के द्वारा भोजन कराने की व्यवस्था थी जो कई सालों से न्यास के सदस्यो की उदासीनता के कारण बंद है. कुल मिला कर खाना पूर्ति के लिये ही बैठकों का आयोजन होता प्रतीत हो रहा है. (क्रमश:)
सवालों में न्यास (भाग-3): आमदनी में बिहार में दूसरा स्थान पर जनहित का काम नदारद
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 23, 2016
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