स्पेशल रिपोर्ट: कुसहा का दंश झेल रहे अनगिनत लोगों को आजतक आशियाना नसीब नहीं

कोसी के लोगों ने इससे बड़ी त्रासदी नहीं देखी थी. वर्ष 2008 में आई कुसहा त्रासदी का दंस झेल रहे लोगों को आज तक ठीक से अपना आशियाना नसीब नहीं हो सका है. ठंढ और बारिस में खुले आसमान के नीचे बिना छत के झोपडी में रहने को बेबस हैं पीड़ित. सात वर्षों में भी अबतक त्रासदी पीड़ितों को पुनर्वास का लाभ यदि नहीं मिल पाया है तो इसपर कुसहा जैसी ही एक बड़ी कहानी लिखी जानी चाहिए.
           पीड़ित सरकारी कार्यालय का चकर काट-काट कर थक चुके हैं. कोसी त्रासदी को सात वर्ष बीत जाने के बाद भी पहले से बेहतर कोसी बनाने का सूबे के मुखिया नीतीश कुमार का वादा आज भी पूरा नहीं हो पा रहा है. अब मधेपुरा को प्रो० चंद्रशेखर जैसे आपदा मंत्री मिलने से कुसहा त्रासदी और कोसी त्रासदी के पीड़ितों में भले ही जगी है आस, पर लम्बे समय बीत जाने के कारण सरकारी नीतियों में हुए बदलाव को लेकर विश्व बैंक ने लक्ष्य में भारी कटौती कर दी है.
         वर्ष 2008 में आए भीषण कुसहा त्रासदी का दर्द आज भी लोगों के दिलो-दिमाग में छाया हुआ है और क्षेत्र की तस्वीरें ही वस्तुतः स्थिति को साफ़-साफ़ बयां करने में सक्षम है. जबकि मधेपुरा को पुनर्वासित करने हेतु 60 हजार घरों का लक्ष्य प्राप्त था और चार चरणों में जिला प्रशासन को पुनर्वासित का कार्य पूर्ण करना था. लेकिन जिला प्रशासन और सरकार की लापरवाही के कारण विश्व बैंक ने सहायता राशि की कटौती कर अब मात्र 26 हजार का लक्ष्य दिया है जिसमें जिला प्रशासन के अनुसार कागजी खानापूरी कर आधा पुनर्वास का कार्य पूर्ण कर लिया गया है. पीड़ितों को प्रथम किश्त दिया जा चुका है पर सैकड़ों पीड़ित आज भी पुनर्वास का लाभ पाने के लिए लालायित है. इलाकों में आज भी कुशहा त्रासदी के कई ऐसे क्षतिग्रस्त घर सरकार और जिला प्रशासन को मुंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं. अहम् बात तो ये है कि कुशहा त्रासदी के सात साल बीत जाने के बाद भी सरकार और जिला प्रशासन की कुम्भकर्णी नींद अभी तक नहीं खुल सकी है. अगर अब भी समय पर पीड़ितों को पुनर्वास का लाभ नहीं मिल पाया तो स्थानीय लोग सहित त्रासदी पीड़ित आन्दोलन पर उतारू होने को बाध्य होंगें.
            उधर सात वर्ष बाद भी उपविकास आयुक्त मिथलेश कुमार आपदा विभाग में कर्मचारी की कमी का रोना रो रहे हैं और बता रहे हैं कि कटौती के बाद मात्र 26 हजार सात सौ 72 घरों का लक्ष्य दिया गया है जिसमे आधा कार्य पूर्ण हो चुका है प्रथम किश्त पीड़ितों को दे दी गयी है कार्य काफी तेजी से चल रहा है.
       अब कुसहा त्रासदी के पीड़ितों को मधेपुरा के विधायक सह आपदा प्रबंधन मंत्री प्रो. चंद्रशेखर से आस जगी है और उम्मीद है कि सात वर्ष बाद हीं सही, पीड़ितों को पुनर्वास का लाभ मिल सकता है. मंत्री प्रो.चंद्रशेखर ने खुद कहा कि मेरे भी संज्ञान में है कि पीड़ितों को पुनर्वास का लाभ नहीं मिल सका है. आपदा विभाग में रूपयों की कमी नहीं है और जल्द ही वाजिब लोगों तक पुनर्वास का लाभ पहुंचेगा.
          अब देखना दिलचस्प होगा कब तक मिलेगा पीड़ितों कुसहा की मार से सताए हुए अभी तक बेघर लोगों को कब अपनी छत नसीब होगी?
स्पेशल रिपोर्ट: कुसहा का दंश झेल रहे अनगिनत लोगों को आजतक आशियाना नसीब नहीं स्पेशल रिपोर्ट: कुसहा का दंश झेल रहे अनगिनत लोगों को आजतक आशियाना नसीब नहीं Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 09, 2015 Rating: 5

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