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जन संसद की कार्यवाही का उद्घाटन समाजवादी चिन्तक विजय प्रताप के द्वारा की गई और सबसे पहले इसमें 18 अगस्त 2008 को आई कुसहा त्रासदी के दौरान मारे गए लोगों की आत्मा के लिए श्रद्धांजलि अर्पित की गई. जन संसद में में उपस्थित प्रो० सचींद्र और कंम्यूनिस्ट नेता प्रमोद प्रभाकर आदि ने कहा कि मधेपुरा, मुरलीगंज और बीरपुर नगर परिषद्/ नगर पंचायत के पुनर्वास और पुनर्निर्माण का कार्य आजतक पूरा नहीं सका है. केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय आपदा तक घोषित कर दिया था, पर जहाँ केंद्र ने त्रासदी में 3 लाख से अधिक, वर्ल्ड बैंक ने 2.5 लाख घरों की क्षति का आकलन किया था वहीँ बिहार सरकार ने एक लाख घरों को पुनर्वासित करने का लक्ष्य वर्ष 2011 के दिसंबर तक ही रखा था, पर अब तक सिर्फ 29 हजार घरों को पुनर्वासित करना इलाके के लोगों के जख्मों पर नमक छिड़कना जैसा है.
कार्यक्रम में हरेराम भगत, अशोक सिन्हा, राजन सिंह समेत सैंकड़ों लोग उपस्थित थे.
दूसरी तरफ आज कुसहा की सातवीं बरसी पर नाट्य संस्था संवदिया के कलाकारों ने स्थानीय जयपालपट्टी में एक नुक्कड़ नाटक के जरिये पीड़ितों की पीड़ा व्यक्त की.
कुसहा त्रासदी का दर्द: बरसी पर मधेपुरा में जन संसद और नुक्कड़ नाटक
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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August 18, 2015
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