![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjwq8cZ03q6qANcZlew4E7eomUmP6UyxDZYQcl5e8ou1wCY0jtDWEz7a5_ZcaY792gAl41cIfp-lwIFIqKqv1-SShtem0FjdOwDzff8qhyphenhyphenB5N6uRDSQCI2WgFJVC1L2dklgvw6HqYdHNPB7/s320/Madhepura+TimesFlood3.jpg)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhWzNUVIfKaPJHc-KzHHXM6bm0mPrFbnTGWvE-BDiRNZ7a8nV2YejeGDs81WWC9ew8dMAhAljYHVdk-Yw2YoC9dmIFJVNQMVhtviTqPupOH1_3jgZBLV6CqxkVoQDwftBUV-9nRdeznir6o/s320/Madhepura+TimesFlood1.jpg)
बारिश और धूप की चाबुक सह रही पीठ: बता दें कि आज की तारीख में भी बलुआ बाजार व जीवछपुर पंचायत के ढ़ेर सारे लोग गृह क्षति मुआवजा से वंचित हैं। वंचित लोगों द्वारा सीएम व डीएम का दरवाजा खटखटाने के बाद अपर समाहर्ता व सीओ को जांच की जिम्मेदारी दी गयी. कई बार पीडि़तों ने आमरण अनशन भी किया. लेकिन मुआवजा नहीं मिला, मिला तो सिर्फ आश्वासन, कोरा आश्वासन. आज भी यहां के लोगों के मन में, नयन में कोसी की धारा बह रही है. आज भी छेद वाली फूस की छत में रहने वाले काफी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनके देह पर बारिश होने पर सीधे पानी टपकता है. बावजूद बारिश और धूप की चाबुक सह रही ऐसी पीठ पर किसी के भी नरम हाथ नहीं पड़े हैं। कहते हैं कि काल चक्र प्रतिदिन नया सबेरा लेकर आता है. पता नहीं आखिर कब बलुआ बाजार व जीवछपुर पंचायत के लोगों के लिए नया सबेरा होगा, होगा भी या नहीं...! (नोट- बलुआ बाजार व जीवछपुर पंचायत तो मात्र उदाहरण है. लंबी फेहरिस्त है.)
(सुपौल से बबली गोविन्द की रिपोर्ट)
तू कहता कागद की लेखी, मैं कहता आंखिन की देखी: कुसहा कलंक की 7वीं बरसी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 18, 2015
Rating:
![तू कहता कागद की लेखी, मैं कहता आंखिन की देखी: कुसहा कलंक की 7वीं बरसी](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjQX0nowG03ohcIawTVM9Rpa9qPTa0t7oGdxpR7jxMJRhIzuiGUc-V70rgfURHD0iQ8KTgBfrEga2-CEaKqgr_b6gFTOse2KVOh6DN9qEmiCRMlk-u8ljalZyCVQn6YS-l869A6qdXJduHn/s72-c/Madhepura+TimesFlood2.jpg)
बहुत अच्छा है...
ReplyDelete