सहरसा में मोदी की रैली में उमड़ा जनसैलाब: फिर साधा नीतीश पर निशाना, कहा, 'अहंकार के कारण मानवीय दर्द से खिलवाड़ कितना उचित?'
कुसहा त्रासदी की 7वीं बरसी पर सहरसा पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने पटेल मैदान में परिवर्तन रैली को संबोधित किया. मैथिली में अपने भाषण की शुरूआत करते पीएम ने सूबे के सीएम का बगैर नाम लिए कहा कि एक मुख्यमंत्री के अंहकार ने बिहार के सपने को रौंद डाला. जिसने जेपी की हत्या करा दी उसी कांग्रेस के साथ आज बिहार के दो महानुभाव उसके साथ है.
पटेल मैदान में उमड़े जनसैलाब से पीएम मोदी ने सवालिया लहजे में पूछा कि ऐसे लोगों का साथ छोड देना चाहिए की नहीं? कोसी की सौंगध खाकर सार्वजनिक रूप से पीएम ने कहा कि किसी व्यक्ति का अंहकार, कितनी चोट पहुंचाती है, व्यक्तिगत कोई मुझे कोई अपमानित करे, दुतकारें, अनाप शनाप बोले, मैं कभी भी सार्वजनिक रूप से हरकतों को नहीं बोलता, बल्कि सह जाता हूं. पर यदि अहंकार के कारण मानवीय दर्द के साथ खिलवाड हो तो ये कितना उचित है. क्या नेता का व्यवहार ऐसा होना चाहिए? जनता के दर्द के लिए वे रूक नहीं सकते. कुसहा त्रासदी के पीडितों को गुराजतियों ने अपने पसीने के कमायी से पांच करोड का चेक भेजा था.लेकिन नीतीश ने उसे वापस कर दिया, तो गुजरात में रह रहे बिहार के लोगों के द्वारा उनके बगैर नाम लिये सीधे बाढ पीडित के लिए राहत साम्रगी भेजे. इस तरह उन्होंने कुसहा पीडित के दर्द को बांटा.
मोदी ने कहा कि कुसहा जैसी त्रासदी का स्थायी समाधान नेपाल में हैं और नेपाल जाने का रास्ता बिहार से महज 70 मिनट का है, पर किसी ने 17 सालों में वहां जाकर समाधान करने की जरूरत नहीं समझी. आज नेपाल हमारे साथ भाई की तरह खड़ा है. बिहार में अपराध के आकंड़े जंगलराज की वापसी बता रहा है. हवा बन चुकी है और आपके सामने एक मजबूत सरकार चुनने का वक्त आ गया है.
(सहरसा से लौटकर अशोक यादव, सुपौल)
पटेल मैदान में उमड़े जनसैलाब से पीएम मोदी ने सवालिया लहजे में पूछा कि ऐसे लोगों का साथ छोड देना चाहिए की नहीं? कोसी की सौंगध खाकर सार्वजनिक रूप से पीएम ने कहा कि किसी व्यक्ति का अंहकार, कितनी चोट पहुंचाती है, व्यक्तिगत कोई मुझे कोई अपमानित करे, दुतकारें, अनाप शनाप बोले, मैं कभी भी सार्वजनिक रूप से हरकतों को नहीं बोलता, बल्कि सह जाता हूं. पर यदि अहंकार के कारण मानवीय दर्द के साथ खिलवाड हो तो ये कितना उचित है. क्या नेता का व्यवहार ऐसा होना चाहिए? जनता के दर्द के लिए वे रूक नहीं सकते. कुसहा त्रासदी के पीडितों को गुराजतियों ने अपने पसीने के कमायी से पांच करोड का चेक भेजा था.लेकिन नीतीश ने उसे वापस कर दिया, तो गुजरात में रह रहे बिहार के लोगों के द्वारा उनके बगैर नाम लिये सीधे बाढ पीडित के लिए राहत साम्रगी भेजे. इस तरह उन्होंने कुसहा पीडित के दर्द को बांटा.
मोदी ने कहा कि कुसहा जैसी त्रासदी का स्थायी समाधान नेपाल में हैं और नेपाल जाने का रास्ता बिहार से महज 70 मिनट का है, पर किसी ने 17 सालों में वहां जाकर समाधान करने की जरूरत नहीं समझी. आज नेपाल हमारे साथ भाई की तरह खड़ा है. बिहार में अपराध के आकंड़े जंगलराज की वापसी बता रहा है. हवा बन चुकी है और आपके सामने एक मजबूत सरकार चुनने का वक्त आ गया है.
(सहरसा से लौटकर अशोक यादव, सुपौल)
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Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 19, 2015
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