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बताया
जाता है कि सहरसा जिला के गंगजला निवासी अनिल कुमार सिन्हा आज मधेपुरा जिला
मुख्यालय के यूको बैंक में रूपये जमा करने गए थे जहाँ काउंटर पर उनके एक-एक हजार
के आठ नोटों को जाली पाकर बैंक प्रशासन ने पुलिस को सूचना दी. पुलिस हिरासत में
अनिल ने बताया कि उन्हें ये नोट मधेपुरा के भिरखी स्थित एक दुकानदार सोनू कुमार ने
दिए थे. पुलिस ने सोनू को भी हिरासत में लिया तो उसने बताया कि उसके दुकान से
बिशनपुर के जितेन्द्र कुमार सिंह कुछ दिन पहले गैस चुल्हा आदि उधार खरीदकर ले गए
थे और कल जितेन्द्र ने उसे 14 हजार रूपये दिए थे जिसमें से उसने आठ हजार रूपये
अनिल को दिए. जितेन्द्र को भी मधेपुरा पुलिस थाना लाई और जितेन्द्र ने यह तो
स्वीकार किया कि रूपये सोनू को उसी ने दिए हैं, पर जितेन्द्र का कहना था कि ये नोट
उन्हें मधेपुरा एसबीआई के एटीएम से प्राप्त हुए हैं.
मामला
जितना गंभीर था उतना ही पेचीदा. सदर एसडीपीओ कैलाश प्रसाद ने गहन जांच आरम्भ की और
जितेन्द्र के एटीएम से रूपये निकालने की बात बैंक से जांचा. साथ ही उस समय के
ट्रांजेक्शन का डिटेल्स भी बैंक से लिया. जांच के लिए जितेन्द्र से ठीक पहले तथा
उसके ठीक बाद निकासी करने वाले ग्राहकों से भी पूछताछ की जा रही है कि क्या सचमुच
उन्हें भी बैंक के एटीएम से निकले नोट नकली मिले हैं या फिर जितेन्द्र पर संदेह
किया जा सकता है? जितेन्द्र से पहले एटीएम से नोट निकालने वाले मधेपुरा व्यवहार
न्यायालय के नाजीर रणजीत सिन्हा के सारे नोट असली होने पर पुलिस का संदेह
जितेन्द्र पर गहराता नजर आ रहा था. हालांकि जितेन्द्र के द्वारा एटीएम से कुल 37
हजार रूपये निकाले जाने की बात बताई जज रही है और उसमें से उन्होंने कुछ रूपये
सोनू और कुछ सुपौल के एक व्यक्ति को दिए थे. अब सुपौल के उस व्यक्ति को भी नोट
समेत बुलाया जा रहा है और यदि उनके पास मिले नोट के सीरीज अलग और असली नोट के होते
हैं तो फिर ये भी माना जा सकता है कि जितेन्द्र ने सोनू को असली नोट दिए थे और
क्या सोनू झूठ बोल रहा है? पर ऐसे मामले में कई पहलूओं पर जांच की जानी है और
पुलिस किस निष्कर्ष पर पहुँचती है, देखना बाकी है.
कोसी के बाजार में है नकली नोटों
की भरमार: वैसे तो पूरा देश नकली नोटों के
कारोबार से जूझ रहा है पर मधेपुरा जिले के मुरलीगंज और कुमारखंड थानाक्षेत्र में नकली
नोटों का कारोबार वृहद रूप से फैले होने की सूचना है. सूत्रों का मानना है कि हाल
में ‘फानूस’ या अन्य फर्जी संस्था जो 15 दिन
या कम समय में रूपये दुगुना करने का झांसा देकर लोगों से रूपये वसूल करते थे, उनके
संपर्क जाली नोटों के कारोबारी से थे. लोभ में आकर लोग इन फर्जी लोगों को अपना
असली रूपया देते गए और नकली लेते गए और बाद में किसी तरह इन नकली नोटों को चलाना
उनकी मजबूरी बन गई. सूत्र बताते हैं कि मधेपुरा जिले के कई क्षेत्र में तो अभी भी
50% पर नकली नोट को चलाने में कई लोगों के शामिल होने की सूचना है.
यदि
मधेपुरा पुलिस के हाथ इस धंधे में शामिल असली और बड़े लोगों की गर्दन तक पहुँचते
हैं तो इसे एक बड़ी उपलब्धि मानी जायेगी.
कोसी में नकली नोटों की बाढ़?: यूको बैंक में जमा करते समय पकड़ाए, तीन हिरासत में
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 16, 2015
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