
जिले के
श्रीनगर थाना में दो वर्ष पूर्व दर्ज अपहरण के एक मामले का हश्र कुछ यूं होगा शायद
कथित अपहृत मो० मासूम के बाप ने भी नहीं सोचा होगा, जिसपर पूरी साजिश गढ़ने का शक जाता है.
सुपौल
जिले के जदिया थानाक्षेत्र के मुहर्रमपुर के मो० फिरोज के बेटे मो० मासूम के अपहरण
का मामला श्रीनगर थाना में दर्ज कराया गया था. श्रीनगर थाना कांड संख्यां 26/2013
में मो० सलीम और अन्य 12 लोगों को अपहरण का अभियुक्त बनाया गया था.
पर दो साल के बाद कल कथित अपहृत मो० मासूम की बरामदगी जब संदिग्ध
परिस्थिति में त्रिवेणीगंज थानाक्षेत्र में हुई और जब पुलिस ने गहरी पूछताछ की तो
अपहरण का पुराना मामला टांय-टांय-फिस्स साबित हुआ. पूछताछ से पता चला कि मो० मासूम
का अपहरण नहीं हुआ था और वह अपनी मर्जी से छुप कर रह रहा था. पूछताछ से सच्चाई का
खुलासा करने का श्रेय पुलिस पदाधिकारी मधेपुरा सदर एसडीपीओ कैलाश प्रसाद, मधेपुरा
सदर इन्स्पेक्टर नवीन कुमार सिंह, श्रीनगर थानाध्यक्ष प्रसुन्न्जय कुमार को जाता
है.
मामला काफी संगीन था और लगाये गए
आरोप गंभीर और ऐसे फर्जी मामले में सबसे बड़ी और दुख:द बात यह होती है कि
अभियुक्तों को भागते फिरते रहना पड़ जाता या फिर उसे कुर्की की प्रक्रिया भी झेलनी
पड़ जाती है और अक्सर तो बड़े मामले में उसे काफी दिनों तक सलाखों के पीछे भी उस अपराध
के लिए रहना पड़ सकता है जो उन्होंने किया ही नहीं.
अपहरण के दिन अपहृत के बाप ने
होटल में खाई थी मिठाइयाँ: इस फर्जी अपहरण के सूत्रधार मो० मासूम के पिता मो० फिरोज
ने कथित अपहरण की सूचना मार्च 2013 में मधेपुरा टाइम्स के एक पत्रकार को दी थी. पर
कुछ ही देर बाद फिरोज को किसी व्यक्ति के साथ मधेपुरा के एक होटल में बैठकर
मिठाइयां खाते देखा गया वह उस व्यक्ति से हंस-हंस कर बातें कर रहा था. हमें उस
वक्त इस बात की शंका हुई थी जिस व्यक्ति के बेटे का अपहरण तुरंत हुआ होगा वो होटल
में बैठकर हँसते हुए रसगुल्ले शायद ही खा सकेगा.
पुलिस की इस सफलता से न सिर्फ इस मामले के सभी अभियुक्तों को
न्याय मिलेगा बल्कि पुलिस के प्रति लोगों के भरोसे में भी वृद्धि होगी. पर इसमें
अभियुक्तों को सही न्याय तब ही मिलना माना जाएगा जब साजिशकर्ता भी जेल की हवा
खायेंगे.
पर्दाफाश: फर्जी अपहरण निकला विरोधियों को तबाह करने की साजिश: अपहृत बरामद
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 27, 2015
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