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जब माता-पिता ने छोडा साथ: बंगाल के मेदनीपुर के टुनटुनिया
के बूढे बीमार माता पिता ने जब उनका साथ छोडा तो उनके सामने अपनी पैतृक एक छोटा सा
भूखंड और समाज के साथ अपनी जिदंगी के रास्ते का सफर तय करना था. आस पडोस वालों की नजर
उन पर बुरी थी. आखिर वे पश्चिम की दिशा चुन सहरसा होते प्रतापगंज पहुंची. सयानी होने
कारण उनको कोई पनाह नही देना चाह रहा था. तीन साल भटकने के बाद प्रखंड के भवानीपुर
उत्तर की सरपंच मधु देवी और उसके पति नागेश्वर सिंह ने उसे पनाह दी.
टुनटुनिया से हुई अमला: वक्त बीतता गया और टुनटनिया
सरपंच के परिवार में एक सदस्य के रूप में एक पहचान बना ली. सरपंच पति नागेश्वर सिंह
ने उनका नाम प्यार से अमला भी रखा. अमला
अब फर्राटेदार हिंदी भी बोलती है और साक्षर
भी हो गई. घर में एक जवान बेटी की चिंता जिस प्रकार एक माता पिता को होती है ठीक उसी
प्रकार की चिंता सरपंच व उसके पति को भी सताने लगी. इसी बीच सरपंच के घर अमला का हाथ
मांगने योगेंद्र उरांव व उसकी पत्नी पहुंची. एक ही नजर में योगेंद्र व उसकी पत्नी को
अमला भा गई. फिर शादी शुभ मुर्हुत 27 जनवरी तय हुआ.
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धूमधाम से हुई शादी: मंगलवार की रात दुल्हा शिव
कुमार अपने समाज के लगभग डेढ सौ बारातियों संग गाजे बाजे के साथ प्रतापगंज के शंकर
चौक स्थित शिव मंदिर पहुंचा. हिन्दू रीति रिवाज के साथ अमला ने शिव कुमार के साथ सात
फेरे लिये. बारात के स्वागत में कोई कमी न रह जाये इसके लिए मुखिया रंजीत प्रसाद सिंह
व पूर्व मुखिया संपत राज जैन खुद बारात के स्वागत में लगे थे. कन्यादान सरपंच की सास
इंद्रकला देवी ने किया. लाल जोडे में दुल्हन अमला जाते जाते सरपंच व सरपंच पति को जुदाई
का गम देकर अपने साजन के साथ विदा हुई.
हृदय विदारक था विदाई का क्षण: विवाहोपरांत विदाई का क्षण
बडा हृदय विदारक था. टुनटुनिया उर्फ अमला के करूण क्रंदन से उपस्थित सभी की आंखे नम
थी, तो सरपंच
मधु देवी अमला का वियोग झेल नहीं पा रही थी. रोती बिलखती सरपंच ने दुल्हा शिव कुमार
से कहा, “मेरी बेटी का ख्याल रखना....”
“पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई”: मानवता की बेजोड़ मिसाल
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 29, 2015
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वाह बहुत अच्छा कवरेज और उतनी ही अच्छी प्रस्तुति.... सच में सरपंच जी को चरण स्पर्श
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