मधेपुरा सदर थाना के वर्तमान थानाध्यक्ष मनीष कुमार
को निलंबित कर दिया गया है. कोसी रेंज के डीआईजी के द्वारा गम्हरिया थाने से जुड़े
एक मामले की जांच कराने के बाद तात्कालिक रूप से तत्कालीन गम्हरिया थानाध्यक्ष और
वर्तमान सदर थानाध्यक्ष मनीष कुमार को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया. साथ ही
मामले में बिहरा थानाध्यक्ष नन्हकू राम को भी निलंबित कर देने के समाचार हैं.
मिली
जानकारी के अनुसार गत मधेपुरा
जिला के गम्हरिया थाना के एकपरहा गांव के मेले से गत 2 अक्टूबर
को गायब नाबालिग पिंटू और छोटू की लाश तीन दिन बाद 5 अक्टूबर को सहरसा जिले के बिहरा थानाक्षेत्र से मिली थी. बताया जाता है कि मामले को दर्ज करने में दोनों थाना ने यह
कहकर आनाकानी की थी कि मामला मेरे नहीं उसके थाने का है. बाद में बिहरा थाना में
मुकदमा दर्ज भले ही हुआ था पर मामले की गंभीरता को देखते हुए सहरसा के डीआईजी नागेन्द्र
प्रसाद सिंह ने सहरसा के ही एक एएसपी से मामले की जांच कराई और जांच में दोनों ही
थानाध्यक्षों को दोषी पाया गया और डीआईजी ने दोनों की थानाध्यक्षों को निलंबित
करने का आदेश कर दिया.
क्या था पूरा मामला?: दो मासूमों की हत्या में बाद में हुए नए खुलासे ने सबको चौंका दिया था. कहा जाता है कि अवैध सम्बन्ध स्थापित करते देखना ही
बना इन बच्चों की हत्या का कारण. मृतक बच्चों के परिजनों का कहना है कि गम्हरिया थाना क्षेत्र
के एकपरहा गांव के ही एक दबंग मनचले दूसरी महिला के साथ पटुआ के खेत में अवैध ढंग से शारीरिक संबंध स्थापित कर रहे थे. बताते हैं कि बगल के खेत में बकरी चरा रहे पिन्टू और छोटू ने इस चीज को देख लिया. आरोपी प्रदीप यादव और
महिला ने दोनों
बच्चे को ये बात कहीं नहीं बताने की हिदायत तो दे दे, पर नादान बच्चों ने इसकी चर्चा गांव में कर दी. बस आक्रोशवश प्रेमी और प्रेमिका ने दोनों बच्चों को ठिकाने लगाने की सोच ली.
ये भी कहा जाता है कि जब महिला का पति पंजाब से लौटा तो
महिला ने उसे भी भरोसे में लेकर यह विश्वास दिला दिया कि दोनों बच्चों ने गलत ढंग
से उसे बदनाम कर दिया है. बस क्या था, पति, पत्नी और वो तीनों मिलकर पिंटू और छोटू को बहला-फुसलाकर गांव से बाहर मेला
देखने के बहाने ले गया और कर दी हत्या. कहते है कि गायब बच्चों के
परिजनों ने इस लापता होने की सूचना गम्हरिया पुलिस को दी थी, पर गम्हरिया थाना ने केश दर्ज करने में आनाकानी की थी. 5 अक्टूबर को दोनों बच्चों की लाश सहरसा जिले के बिहरा
थाना क्षेत्र में नहर से बरामद हुई
थी तो घटनास्थल के पीओ (प्लेस ऑफ आकरेंस) को लेकर दोनों थाना में जिच भी हुई थी.
सोचने वाली बात यह है कि क़ानून
के कंधे पर बन्दूक रखकर फायरिंग करने वाले इन थानाध्यक्षों ने एक बार भी यह नहीं
सोचा था कि पीड़ित परिवार पर इनकी आनाकानी से क्या गुजर रही होगी. क़ानून जनता की
रक्षा और उन्हें राहत देने के लिए बनाए जाते हैं न कि उन्हें दर-दर की ठोकरें
खिलवाने के लिए. जो भी हो, फिलहाल मधेपुरा और बिहरा थानाध्यक्षों के निलंबन से
पुलिस के आलाधिकारी ने लोगों में यह सन्देश देने की कोशिश जरूर की है कि गलती पाए
जाने पर अधीनस्थ अधिकारियों को पुलिस पदाधिकारी पर भी कार्रवाई करने में हम पीछे
नहीं है.
मधेपुरा सदर थानाध्यक्ष मनीष कुमार को डीआईजी ने किया सस्पेंड
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 07, 2014
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