माँ की मौत के चार दिनों के बाद ही प्रो० विश्वनाथ भी दुनियां छोड़ चले

अक्सर लोगों को कहते सुना जाता है कि अच्छे लोग इस दुनियां में कम दिन ही रहते हैं, क्योंकि ऊपर वाले को भी अच्छे लोगों की जरूरत होती है. पर शायद आस्था के इस तर्क में कोई दम नहीं है क्योंकि अच्छे लोग तो चले जाते हैं, पर उनके परिजनों और करीबी लोग ऐसे लोगों के जाने के बाद अथाह गम में डूब जाते हैं.
      मधेपुरा में जंतु विज्ञान के प्रोफ़ेसर विश्वनाथ प्रसाद यादव का गुजरना उन्हें जानने वालों के मन में एक टीस छोड़ गई है. महज 46 साल की उम्र में मधेपुरा इंटर कॉलेज मधेपुरा के प्रोफ़ेसर विश्वनाथ प्रसाद यादव की असामयिक मौत न सिर्फ शिक्षा जगत से जुड़े लोग एक अपूरणीय क्षति मान रहे हैं बल्कि उनकी पत्नी और बच्चों पर भी दुःख का पहाड़ टूट पड़ा है.
      प्रोफ़ेसर विश्वनाथ प्रसाद यादव के घर में एक साल के अंदर यह चौथी मौत थी. पहले पिता जी का गुजरना, फिर बड़े भाई का दुनियां छोड़ जाना और अभी चार दिन पहले ही इनकी माँ का देहावसान हुआ था. बताया जाता है कि एक तरफ वित्त रहित कॉलेज में नौकरी करने के कारण प्रोफ़ेसर विश्वनाथ आर्थिक तंगी की मार झेल रहे थे तो दूसरी तरफ उनपर बच्चों की पढ़ाई और खुद के इलाज का भार भी था. और सबसे बुरा तो तब हुआ जब एक-एक कर उनके प्रियजनों की मौतें होती चली गई. माँ के मरने के बाद प्रोफ़ेसर विश्वनाथ प्रसाद यादव कर्ता भी बने थे. पर शायद अब कोई बताने वाला नहीं रहा कि अब माँ का कर्ता कौन बनेगा और बेटे प्रोफ़ेसर विश्वनाथ का कौन?
      मधेपुरा इंटर कॉलेज मधेपुरा की प्राचार्या डा० पूनम यादव कहती हैं कि जंतु विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर विश्वनाथ प्रसाद यादव न सिर्फ एक अच्छे शिक्षाविद थे बल्कि सामाजिक कार्यों में भी बढ़ चढ कर हिस्सा लेते रहे और कॉलेज की तरक्की में उनके योगदान को कभी नहीं भूला जा सकता है.
      प्रोफ़ेसर विश्वनाथ प्रसाद यादव के असामयिक निधन पर आज कॉलेज परिवार ने डा० पूनम यादव की अध्यक्षता में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. मौके पर मधेपुरा कॉलेज के संस्थापक प्राचार्य डा० अशोक कुमार समेत जुड़े सभी शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारीगण उपस्थित थे.
माँ की मौत के चार दिनों के बाद ही प्रो० विश्वनाथ भी दुनियां छोड़ चले माँ की मौत के चार दिनों के बाद ही प्रो० विश्वनाथ भी दुनियां छोड़ चले Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 16, 2014 Rating: 5

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