
हमारे देश की धरोहरें और इसकी संस्कृतियां पूरे विश्व में उल्लेखनीय है. हमने हमारे देश पर पश्चिमी सभ्यता और उसके रहन सहन को कभी स्वीकार या आदर्श नहीं माना. प्रकृति के बहुत सारे अपने नियम होते हैं जिन्हें हम बिना छेड़-छाड़ के सहस्त्र स्वीकार करते हैं और कई नियमों को तो धर्म संगत पूजते तक हैं. इन्हीं प्रकृति के बनाये नियमों में एक है स्त्री और पुरुष का साथ तथा पारिवारिक जीवन का निर्वहन. ये कैसे सम्भव है कि कोई इंसान अपने समाज में एक अनैतिक, अव्यावहारिक कर्म करे, समाज में सांसारिक और पारिवारिक जीवन को अर्थहीन बनाने का सन्देश पैदा करे और यहाँ का कानून उसे सामाजिक मान्यता दे? स्वच्छ और स्वस्थ समाज में कभी भी इन समलैंगिगता जैसी परिस्थितियों को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए. ये संस्कृति अगर पनप गई तो इसके आधार पर हमारे देश के कानून में बहुत सी ऐसी कुरीतियों को भी संरक्षण देना पड़ेगा जो व्यक्ति की अपनी आजादी पर निर्भर होगा. जिस माँ का बेटा एक लड़के के साथ बीवी की तरह रहने की बात करेगा वो माँ कभी इस रिश्ते को स्वीकार करेगी? क्या एक बाप कभी अपनी बेटी को दूसरी लड़की के साथ पति की तरह जिन्दगी बिताने को राजी होगा? नहीं, ये सभ्य समाज में कभी स्वीकार्य नहीं होगा. हाँ, ये सिर्फ उन मतिभ्रष्टों को पसंद होगा जिसे कम उम्र से हीं अपने मन पर तनिक भी वश रखने की क्षमता नहीं रही होगी. ऐसे लोग अपने दोस्तों के संगत में प्रकृति के खिलाफ मन की संतुष्टि के लिए अप्राकृतिक कारनामों से ही संतुष्टि पाते रहते है. लेकिन ये तो अभी शुरुआत है इनकी, जब उम्र गुजरेगी, भूख मिटेगी और सांसारिक जीवन की ठेस लगेगी, तब एक ग्लास पानी के लिए इनकी भ्रष्टमति खुलेगी.
अमित सिंह ‘मोनी’
मधेपुरा.
मतिभ्रष्ट कर रहे हैं समलैंगिकता का समर्थन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 13, 2013
Rating:

No comments: