... और जहां महादेव को लोग मानते 'सुप्रीम कोर्ट’

|सुपौल से प्रवीण गोविन्द|24 अक्टूबर 2013|
कोसी अंचल के प्रसिद्ध तिलहेश्वर महादेव 'सुप्रीम कोर्ट के रूप में मशहूर हैं. यहां छोटे-बड़े वाद-विवाद का निपटारा भी होता है. बताया जाता है कि मंदिर प्रांगण में कोई झूठ नहीं बोलता. इधर, पंचायत का भी मुख्य उद्देश्य यही रहता है कि सच्चाई सामने आवे. सो, यहां दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है.
बहती है अध्यात्म की गंगा: वैसे तो प्रत्येक दिन यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, लेकिन सोमवार की बात कुछ अलग है. सोमवार को बाबा का श्रृंगार होता है. मौके पर कीर्तन-भजन विभिन्न मंडलियों द्वारा आयोजित की जाती है. कहते हैं कि लोगों की अनेक मनोकामनाएं यहां पूरी होती है।
शिवलिंग हैं स्वयंभू : सुपौल जिले के सुखपुर गांव के बगल में स्थित बाबा तिलहेश्वर के संबंध में कई रोचक घटनाओं की चर्चा तथा जनश्रुतियां मिथिला के इस भू-भाग में सुनी-सुनायी जाती है. बताया जाता है कि मंदिर स्थित शिवलिंग स्वयंभू हैं. किसी स्थान विशेष पर गाय स्वत: दूध देने लगती थी. निरंतर ऐसा होते देख चरवाहों ने मिलकर उस स्थल की सफाई की और लोगों को इस बात की जानकारी दी. खुदाई के क्रम में शिवलिंग प्रकट हुआ.
कहते हैं लोग: सुखपुर के लक्ष्मण झा, सुधीर राम, चक डुमरिया के राधेश्याम मंडल, भजनटोली, बसबिट्टी के रामदेव शर्मा, कर्णपुर के सुशांत कुमार आदि ने बताया कि इलाके के लोग बीमार होने पर सीधे इसी मंदिर पर आते हैं. विश्वास है कि बाबा तिलहेश्वर के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता. कहते हैं कि आसपास के प्राय: हर घर में बाबा की तस्वीर है. बताया गया कि इस मंदिर के सामने कोई झूठ नहीं बोलता, अगर बोलता है तो तुरंत उसे सजा मिल जाती है. सो, बाबा तिलहेश्वर 'सुप्रीम कोर्ट के नाम से भी प्रसिद्ध हैं. जो भी हो, बाबा की महिमा अपरम्पार है।
(श्री गोविन्द दैनिक भास्कर से जुड़े हुए हैं)
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