21वीं सदी के मधेपुरा में भी कभी-कभी ऐसी घटनाएँ
देखने को मिल जाती है जो यह दर्शाती है कि शिक्षा का प्रसार अब भी समाज के गरीब
तबके के लोगों से कोसों दूर है. खासकर पर्व-त्यौहार के समय में जब लोग भक्ति में
डूब जाते हैं तो उस समय कुछ लोग अंधविश्वास को बढ़ावा देकर अपना उल्लू सीधा करने से
बाज नहीं आते.
जिले के
गम्हरिया थानाक्षेत्र के रूपौली गाँव में सरे आम सड़क के किनारे गत रात के साढ़े आठ
बजे से दो युवकों ने जब अंधविश्वास का खेल शुरू किया तो युवकों के जाल में बहुत से
लोग फंसते चले गए. सिर्फ अंडरवियर-लूंगी-गंजी में तरह तरह के हाव भाव प्रकट करते इनका
दावा था कि दुर्गापूजा की द्वितीया को ही साक्षात दुर्गा देवी इनपर सवार हो गई और
अब इनके अंदर ऐसी शक्ति आ गई है कि ये जिनको जो चाहे माँ दुर्गा से दिला सकते हैं
और जिसे बददुआ दे दें उनकी जिंदगी बर्बाद हो सकती है. युवकों के तिकडम में अनपढ़
महिलाओं और पुरुषों की भीड़ वहां लग गई और सभी अपनी मनोकामनाएं दोनों युवकों को
बताने लगे. युवक बीच-बीच में दक्षिणा भी लेकर जमा करते जा रहे थे. हैरत की बात तो यह
थी कि कई महिलायें जहाँ माँ दुर्गा होने का दावा करने वाले युवकों से संतान तक मांग
रही थी वहीं कुछ युवक उनसे अपने मोबाइल में एक साल का वाउचर तक मांग रहे थे.
खबर
मिलने पर मधेपुरा टाइम्स का यह संवाददाता जब नौटंकी स्थल पर पहुंचा और जैसेही
कैमरे को खोला कि युवकों ने संवाददाता को भस्म कर देने की धमकी देते हुए कहा कि
यदि मैं अपने हाथ की मिट्टी तुम्हारे शरीर पर फेंक दूं तो अभी खड़े ही राख हो
जाओगे. वहां मौजूद उन फर्जी देवताओं से प्रभावित लोगों ने भी इस संवाददाता को भाग
जाने की सलाह दी. मधेपुरा टाइम्स ने जब उसे चुनौती दी तो युवक ने मंत्रोच्चारण कर
शरीर पर फेंक दिया, पर कुछ न होना था, सो नहीं हुआ. पोल-पट्टी खुलते देख युवकों ने
कपड़े पहने और भाग खड़े हुए.
सबसे
शर्मनाक बात तो यह रही कि फर्जी आसाराम टाइप के देवताओं के भागने के बाद कुछ
महिलायें मधेपुरा टाइम्स के संवाददाता को ही कोसने लगी. लोगों ने गोसाईं खेल रहे
दोनों युवकों का परिचय अखिलेश यादव (उम्र 30 वर्ष), पिता-चित नारायण यादव तथा
गम्हरिया थाना क्षेत्र के संजीव कुमार यादव के रूप में की.
देखा
जाय तो मधेपुरा के ग्रामीण इलाके में आज भी अंधविश्वास, तंत्र-मन्त्र और जादू-टोना
के प्रति कई लोगों के मन में विश्वास है. सरकार के जागरूकता कार्यक्रम कारगर साबित
नहीं हो रहे हैं और एक सच तो यह भी है कि कई लोग यह नहीं चाहते हैं कि पिछड़ा तबका
अधिक जागरूक हो जाए और उनके द्वारा वे मूर्ख नहीं बनाये जा सकें. क्योंकि कहते हैं
जब तक धरती पर मूर्ख जिन्दा रहेंगे, बुद्धिमानों का पेट बिना मिहनत के चलता रहेगा.
दो युवकों पर सवार हुई माँ दुर्गा, कैमरा खुलने पर खुली पोल
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 10, 2013
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