|वि० सं०|17 सितम्बर 2013
वैसे तो वेश्यावृत्ति सृष्टि का सबसे पुराना धंधा
माना जाता है. पर भारतीय क़ानून ‘अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम 1956’ के अंतर्गत इसे प्रतिबंधित करता
है. एक तरफ स्वीडेन, पेरिस और यूरोप के कई शहरों में वेश्यावृत्ति को सरकार ने
मान्यता दे रखी है वहीं भारत में मुजरे और नाचगाने का लाइसेंस लेकर चकलाघर चलाये
जा रहे हैं. पर देश में कई जगह तो बस यूं ही कई होटलों और कई घरों में इस धंधे को
आसानी से अंजाम दिया जा रहा है.
मधेपुरा
जिला की बात करें तो हाल तक यहाँ कम से कम तीन जगहों पर खुलेआम वेश्यावृत्ति धंधा
दशकों से पल्लवित-पुष्पित हो रहे थे. पर समाज और पुलिस की जागरूकता से जहाँ पहले
मुरलीगंज के गोशाला चौक के पास इस धंधे को खत्म करा दिया गया वहीं बाद में
बिहारीगंज में भी इस धंधे में काफी कमी आ गई.
पर
सिंहेश्वर में अभी भी यह धंधा फल-फूल रहा है. सूत्रों का मानना है कि यहाँ अभी भी
कम से कम दो घरों में करीब आधा दर्जन वेश्याएं धंधे को अंजाम दे रही हैं वहीं इनके
मुखिया के
द्वारा कुछ उम्दा किस्म की वेश्याओं को बिहार के कई होटलों में ग्राहकों
को मुहैया कराया जा रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इनके सम्बन्ध सत्ता
दल के नेताओं के साथ भी हैं, जिनकी वजह से इनका धंधा बेरोकटोक जारी है.

सिंहेश्वर
के गोढ़ीयारी की दर्जनों महिलाओं ने आरोप लगाया कि उनके मोहल्ले में एकाध घर वेश्याओं
के होने की वजह से उनके बच्चों के विवाह तक में परेशानी हो रही है. ऊपर से वेश्या
के घर के पास शराबियों और मनचलों के द्वारा इनके बहू-बेटियों के साथ छेड़खानी आम
है. ये कहती हैं कि पुलिस इनके पैसे खा रही है इसलिए हमारी शिकायत नहीं सुनती है.
सिंहेश्वर
के युवा नेता ब्रजेश सिंह तो साफ़ शब्दों में कहते हैं कि वेश्याओं के द्वारा ही
पोखर की एक जमीन को अतिक्रमित कर उसपर घर तक बना लिया है. जब वे इस अतिक्रमण को
हटाने के लिए आंदोलन करते हैं तो उलटे उन्हीं को केश में फंसा दिया जाता है.
अंचलाधिकारी और स्थानीय कुछ वेश्यागामी प्रवृति के लोग उनके आंदोलन को कुचलने के
लिए हमेशा तैयार रहते हैं. प्रशासन से उन्हें अपेक्षित मदद नहीं मिल पा रही है.
नतीजतन बिहार के इस अतिमहत्वपूर्ण धर्मस्थल पर आज भी बदस्तूर जारी है ये गन्दा
धंधा.
सिंहेश्वर में जारी है वेश्यावृत्ति: पहुँच सत्ता के लोगों तक
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 17, 2013
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