कल सल्फास खाकर मौत को गले लगाएंगे?: दर्द एक बूढ़े शिक्षक का

|राजीव रंजन|18 सितम्बर 2013|
एक रिटायर्ड शिक्षक की व्यथा सुनकर ऐसा ही प्रतीत होता है कि जिले का शिक्षा विभाग भ्रष्टाचार का पोषक है. वैसे तो ये बात सभी जानते हैं कि लूट के इस विभाग में बिना घूस दिए किसी महत्वपूर्ण काम का होना मुश्किल है.
      31 जुलाई 2013 को मधेपुरा जिला के शास्त्री स्मारक उच्च विद्यालय खाड़ा, उदाकिशुनगंज को रिटायर्ड हुए शिक्षक माधो शर्मा को समाहरणालय में बैठे एक कथित भ्रष्ट कर्मचारी ने इस कदर लाचार बना दिया है कि इस शिक्षक ने कल यानी 19 सितम्बर को सल्फास खाकर मौत को गले लगाने का संकल्प ले लिया है. माधो शर्मा का आरोप जिला भविष्य निधि लेखा कार्यालय के श्रवण कुमार पर है जिसने इनके दो कार्य को रिश्वत के चलते रोका हुआ है. इस अवकाशप्राप्त शिक्षक की स्थिति का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इन्हें अभी औपबंधिक पेंशन भी नहीं मिल रहा है.
      माधो शर्मा की पत्नी कई बीमारियों से पीड़ित है और मेधावी पुत्र की पढ़ाई भी इनके पेंशन के अभाव में बंद होने वाली है.
      नए जिलाधिकारी से उम्मीद जगी तो शिक्षक दिवस पर लगे जनता दरबार में इस लाचार शिक्षक ने अपनी व्यथा रखी. जिलाधिकारी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को मामले को तुरंत देखने को कहा.
      मामला अत्यंत ही गंभीर है. राष्ट्रनिर्माता कहे जाने वाले शिक्षक को सुशासन का एक अदना सा कर्मचारी आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर रहा है. मामले की पूरी जांच होनी चाहिए और यदि आरोपी कर्मचारी दोषी पाया जाता है तो जरूरत है उसे बर्खास्त कर जेल में डालने की ताकि जिंदगी भर समाज की सेवा करने वाले शिक्षक बुढ़ापे में जिल्लत की जिंदगी न जीये. और यदि इस शिक्षक को कुछ हो जाता है तो श्रवण कुमार के नाम को बदनाम करने वाले उस कर्मचारी और जिला शिक्षा पदाधिकारी पर सीधे हत्या का मुकदमा चलना चाहिए.
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