|सुपौल से बबली गोविन्द|15 सितम्बर 2013|
16 साल में भी सुपौल से जमुई नहीं पहुंच पाए बेल्लार्मिन
मुर्मू। सुपौल अंचल कार्यालय में कार्यरत राजस्व कर्मचारी को जमीं खा गयी या आसमां
निगल गया, लापता हैं या हत्या कर दी गयी। यह मामला आज भी रहस्यमय बना हुआ है। वर्ष 1997 में
दुर्गा पूजा के मौके पर वो छुट्टी लेकर अपने गांव जमुई जिला के चकाई के लिए निकले थे।
किसी ने नहीं ली शिलिया की सुध: मुर्मू अपने गांव के लिए
रिक्शा से सुपौल स्टेशन के लिए प्रस्थान किया था। जाते हुए ढ़ेर सारे लोगों ने देखा
लेकिन वे स्टेशन पहुंचे या नहीं इसे किसी ने नहीं देखा। जब वे गांव नहीं पहुंचे और
इसकी सूचना उनकी पत्नी शिलिया देवी को मिली तो वो सुपौल आकर तत्कालीन डीएम,
एसपी व सीओ से अपने
पति का पता लगाने का अनुरोध किया। इसी क्रम में सीओ मुर्मू की पत्नी को झाड़-फूंक वाले
के पास ले गये। वहां से भी उसे कोई लाभ नहीं मिला। पति के लापता वा हत्या होने की जांच
की मांग को लेकर शिलिया ने मुख्यमंत्री आवास के समक्ष आत्मदाह करने की धमकी तक दे डाली
थी। उस समय राबड़ी देवी मुख्यमंत्री हुआ करती थीं। महिला मुख्यमंत्री के राज-पाट में
भी उसे न्याय नहीं मिल पाया।
पुलिस भी गुत्थी सुलझाने में रही
विफल: युवा
राजद के वरीय नेता मो. मोहीउद्दीन द्वारा दिये गए पत्र को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन
भूमि सुधार मंत्री ने अपने कार्यालय पत्रांक 616 (आवासीय) दिनांक 17 नवम्बर,
1997 द्वारा डीएम सुपौल
को उक्त घटना के बाबत समीक्षोपरांत विधिसम्मत प्रशासनिक कार्रवाई कर पूर्ण जानकारी
देने का आदेश दिया था। कहते हैं कि डीएम के स्तर से संचिका में कई चौंकाने वाले तथ्य
उजागर करते हुए इसकी जांच सीबीआई से कराने की मांग की गयी थी। बाद में शिलिया देवी
का एक पत्र जिला प्रशासन व राजद नेता मोहीउद्दीन को प्राप्त हुआ। जिसमें उसने तत्कालीन
सीओ ब्रह्मी राम पर अपने पति को लापता वा हत्या करने का आरोप लगाया था। इधर,
लापता होने का मामला
सुपौल थाना में भी दर्ज हुआ। पुलिस भी उक्त गुत्थी को सुलझाने में विफल रही। उधर,
जिला प्रशासन ने समाचार
पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कर अपने अधिकार का इतिश्री कर लिया। राजद के पूर्व विधायक
सह सुपौल जिलाध्यक्ष यदुवंश कुमार यादव ने मुर्मू की पत्नी को न्याय देने की मांग की
है। सवाल उठता है कि उक्त मामले से पर्दा उठ पाएगा, उठ पाएगा भी कि नहीं...!
एक्सक्लूसिव: बेल्लार्मिन मुर्मू को जमीं खा गयी या निगल गया आसमां ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 15, 2013
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