प्राकृतिक आपदा का शिकार बनना कोशी वासियों की नियति बन चुकी
है । प्रत्येक वर्ष बाढ़ व सुखाड़ जैसे आपदा को झेलने वाले लोगों को अब कोशी के
कटाव से भी जूझना पड़ रहा है। जी
हाँ बे मौसम कोसी नदी में हो रहे कटाव ने सैकड़ो एकड़ में फसल लगी खेत को काटने के बाद खुद में समा कर किसानो की कमर ही तोड़ दी है।
कड़ी मेहनत व मुश्किल से जमा पूँजी लगाकर खेती किया किसानो की सारी पूंजी देखते ही देखते नदी में
समा रही है । वहीँ किसानो की बदकिस्मती ऐसी कि इनकी सुधि लेने वाला भी कोई नहीं। न ही जिला प्रशासन
को इन पीड़ितों की सुधि है और न ही गरीबों का रहनुमा बने किसी जनप्रतिनिधि को ही ।
सहरसा जिला के नवहट्टा व महिषी प्रखंड
स्थित कोशी इलाके में हो रहे कटाव से जिसमे
यहाँ के किसानो की मेहनत व पूँजी उसके आँखों के सामने नदी में विलीन हो रही है ।
वहीं इनकी बदकिस्मती ऐसी की ये अपनी बर्बादी को खुद अपनी आँखों के सामने देख रहा है
पर ये बेवस व लाचार बन खुद अपनी बर्वादी झेलने को विवश है ।
यहाँ के किसानो की आय का मुख्य श्रोत खेती
है और इसी पर पूरे परिवार का जीवन आश्रित रहता
है. आर्थिक तंगी के कारण आमतौर पर इलाके के
किसान कर्ज लेकर खेतों में खाद बीज खेतों में डालता है ताकि फसल अच्छी हो तो हालत सुधरे. परन्तु इनकी बदकिस्मती ऐसी कि फसल तैयार
होने के पूर्व ही प्राकृतिक आपदा का शिकार बना है । ऐसे में इनकी हालत
सुधरने के बजाय और बदतर हो जाता है
जरुरत है कटाव के शिकार बने किसानो को
नुकसान हुए फसलों का उचित मुआवजा प्रदान कर क्षति की भरपाई की जाय वरना यहाँ के
किसानो को परिवार सहित कहीं और जाना होगा ताकि इनकी जिंदगी बची रहे.
कोसी के कटाव की भेंट चढ़ा फसल: बेबस हुआ जीवन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 26, 2013
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