वन्य जीवों का खुलेआम शिकार: प्रशासन खामोश

आर.एन.यादव/10/01/2013
एक ओर सरकार जहाँ कागजों में लुप्तप्रायः प्राणियों को बचाने की जुगत में लगी है और पशुओं के शिकार पर रोक लगाने के दावे करती हो वहीं दूसरी ओर कोसी में आज भी जंगली पशुओं का शिकार बदस्तूर जारी है. पशु शिकार के मामले में सलमान खान भले ही वर्षों कोर्ट के चक्कर काट चुके हों पर कोसी के सलमानों को रोकने में प्रशासन की कोई दिलचस्पी नहीं है.
            वन्य जीवों के शिकार के मामले में समूचा कोसी और सबसे अधिक मधेपुरा का नाम आता है. यहाँ नेवले से लेकर सियार तक का शिकार टोली बनाकर शिकारी करते हैं. खासकर आदिवासी समाज के बहुत से लोग इसे अबतक अपना पेशा मान कर चलते हैं जबकि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि उनके द्वारा मारे गए कई पशु भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के दायरे में आते हैं और क़ानून कहता है कि ऐसे जीवों की हत्या पर सात साल तक की सजा का प्रावधान है.
            शहर और गाँवों में डंडे पर इन शिकार किये गए पशुओं को टांग कर खुलेआम घूमते इन शिकारियों को देखकर भले ही भीड़ जमा हो जाए पर जिला प्रशासन इन बातों से बेखबर है. शायद फाइलों को ही दुरुस्त कर देने भर की ही जिम्मेवारी पूरी कर वे अपने कामों की इतिश्री मान लेते हैं. ऐसे में वो दिन दूर नहीं जब इस इलाके में भी दुर्लभ पशुओं का समूल खात्मा कर दिया जायगा और सरकारी तंत्र हाथ पर हाथ रखे देखता रह जाएगा.
वन्य जीवों का खुलेआम शिकार: प्रशासन खामोश वन्य जीवों का खुलेआम शिकार: प्रशासन खामोश Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 10, 2013 Rating: 5

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