वि० सं०/14/12/2012
रीना की जिंदगी को बचाना अब शायद मधेपुरा प्रशासन के
बूते की बात नहीं लगती. सदर अस्पताल मधेपुरा में यदि रीना को ‘इमरजेंसी वार्ड’ में दाखिल किया भी गया है तो
सिर्फ मीडिया की पहल पर. वर्ना अस्पताल प्रशासन ने तो उसे उठाकर ठंढ में मरने के
वास्ते बाहर ही छोड़ दिया था.
अस्पताल
के रजिस्टर के मुताबिक मुरलीगंज प्रखंड के जीतपुर की लगभग सात साल की रीना को इसी
छ: दिसंबर को सदर अस्पताल मधेपुरा में भर्ती कराया गया. लोगों का कहना है कि रीना
की दादी उसे यहाँ लेकर आई थी और उसे छोड़कर चली भी गयी. सदर अस्पताल मधेपुरा के
रजिस्टर के अनुसार बीमार और खून की अत्यधिक कमी रहने के बावजूद रीना का इलाज किसी
ने नहीं किया और कल शाम रीना को संवेदनहीन अस्पताल प्रशासन ने निकाल बाहर फेंका.
ठंढ से ठिठुरती बच्ची पर लोगों की नजर पड़ी तो किसी ने मीडिया को भी इसकी भनक दी.
मीडियाकर्मियों के पहुँचने पर रीना को अस्पताल वालों ने झटपट में फिर अंदर रखा और नाजुक
स्थिति देख कर ‘इमरजेंसी
वार्ड’ की तरफ भी ले गए.
अस्पताल में मौजूद चिकित्सक के मुताबिक़ रीना ‘हाईली एनेमिक’ तो है ही साथ साथ उसकी दायीं आँख भी खराब है. चिकित्सक को
उसके गले में ट्यूमर होने की भी आशंका है.
पूछने
पर रीना बताती है कि उसकी माँ नहीं है और उसके पिता का नाम बोधू पासवान है. देखने
से तो ऐसा ही लगता है कि रीना का लालन-पालन करना उसके गरीब परिवार के वश की बात
नहीं रह गयी होगी और जब उन्हें लगा कि ये बेटी जात अब उनकी आँखों के सामने ही दम
तोड़ देगी तो परिवारवालों ने कलेजे के टुकड़े को अस्पताल में छोड़ दिया शायद ये सोचकर
कि सुशासन में उनकी बेटी की जिंदगी में चंद लम्हे और जुड़ जाएँ. पर जानने वाले
जानते हैं कि रीना को बचाना उस संवेदनहीन अस्पताल प्रशासन के लिए आसान नहीं जिसने
पिछले छ: दिसंबर को एकबार पहले भी भर्ती रीना को उठाकर बाहर फेंक दिया था.
देखिये इस वीडियो में रीना की हालत, यहाँ क्लिक करें.
देखिये इस वीडियो में रीना की हालत, यहाँ क्लिक करें.
क्या संवेदनहीन प्रशासन बचा सकेगा रीना को ???
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 14, 2012
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aise to main madhepura times sab dono se padh raha hoon.lekin aaj jab maine pahli baar naya design dekha tinange ka to bag bag ho gaya....... nice raeksh sir........nice....
ReplyDeleterakesh ranjan