मधेपुरा में पुलिस के कहर से थर्राया एक गाँव: महिलाओं को भी नहीं छोड़ा

राजीव रंजन/27/12/2012
महिला के बदन पर रायफल के कुंदे का निशान
24 दिसंबर की रात बिहारीगंज थाना के मोहनपुर गाँव के दो निर्दोष परिवारों को ऐसा खौफ दे गया जिसे निकलना उन परिवारों के सदस्यों के लिए आसान नहीं होगा. सरकार भले ही पुलिस को पब्लिक फ्रेंडली बनाने के प्रयास के दावे कर रही हो, पर मधेपुरा में अभी भी कुछ पुलिस की स्थिति अपराधियों से भी बदतर है.
बदन पर जख्म

पीड़िता
            घटना की रात को तीन थानों की पुलिस ने दो परिवारों के न सिर्फ पुरुष सदस्यों को बल्कि महिलाओं को भी घसीट कर मारा. पीड़ित अभय यादव ने डीआईजी को लिखे आवेदन में स्पष्ट किया है कि 24 दिसंबर की रात को बिहारीगंज, ग्वालपाड़ा तथा अरार ओपी की पुलिस उनके आँगन में आकर उन्हें आवाज देकर घर से बाहर निकलने को कहा. अभय के बाहर निकलते ही पुलिस ने उनके माथे पर पिस्टल सटा दिया और मार-पीट कर पटक दिया और फिर रायफल के कुंदे से पैर और छाती पर मारना शुरू कर दिया. पति को पिटता देख पत्नी रेनू देवी ने जब उसे बचाने का प्रयास किया तो फिर पुलिस रेनू के साथ अभद्रता पर उतर आयी. भद्दी-भद्दी गालियाँ देते हुए उसे भी पीटा गया. हल्ला सुन बगल के मंटू यादव की पत्नी प्रसंशा देवी वहाँ आई तो बौराई पुलिस ने उसे भी पीट दिया. इन्हें पीटने के बाद तीनों थाना की पुलिस बगल के मसोमात सुधा देवी (45) का घर खुलवाया. सुधा के घर खोलते ही पुलिस उसे उसका स्वेटर पकड़ कर खींच कर आँगन में पटक दी और फिर शुरू हुआ इनका तांडव. लाठी-डंडे से बुरी तरह पीटकर बचाने आये उसके बेटे सोनू को भी मारा और सोनू के तकिया के नीचे रखे गन्ना बेचने से प्राप्त 11 हजार रूपये रसीद समेत निकाल लिया.
            पीडितों की टीम ने मधेपुरा टाइम्स को पुलिस की पिटाई से लगे चोट को दिखाते हुए बताया कि उन लोगों के विरूद्ध किसी तरह का आपराधिक मामला दर्ज नहीं है. उधर बिहारीगंज थाना से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस उस रात अरार ओपी में हुए एक बाइक लूट के सिलसिले में मंटू यादव तथा राजो यादव को खोजने मोहनपुर गाँव गई थी. मंटू यादव अभय यादव का भतीजा है और राजो यादव सुधा देवी का पुत्र.
            मोहनपुर गाँव में पुलिस का चरित्र अपराधी की तरह दिखा. टीम में एक भी महिला पुलिस का न होना और महिलाओं के साथ गंदी गालियाँ और मारपीट मधेपुरा पुलिस के दामन पर एक बड़ा धब्बा जैसा है. शायद सुशासन में अधिकारियों के साथ अब पुलिस भी बेलगाम हो चुकी है. ऐसे में कभी बिहार के लिए साधुशरण सिंह सुमन की लिखी ये पंक्ति आज चरितार्थ होती दिख रही है कि खेत गदहा चरी, मार जुलहा के पड़ी, ई बिहार बा यहाँ नीति न चली.
मधेपुरा में पुलिस के कहर से थर्राया एक गाँव: महिलाओं को भी नहीं छोड़ा मधेपुरा में पुलिस के कहर से थर्राया एक गाँव: महिलाओं को भी नहीं छोड़ा Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 27, 2012 Rating: 5

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