24 दिसंबर की रात बिहारीगंज थाना के मोहनपुर गाँव के
दो निर्दोष परिवारों को ऐसा खौफ दे गया जिसे निकलना उन परिवारों के सदस्यों के लिए
आसान नहीं होगा. सरकार भले ही पुलिस को ‘पब्लिक फ्रेंडली’ बनाने के प्रयास के दावे कर रही हो, पर मधेपुरा में अभी भी
कुछ पुलिस की स्थिति अपराधियों से भी बदतर है.
बदन पर जख्म
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पीडितों
की टीम ने मधेपुरा टाइम्स को पुलिस की पिटाई से लगे चोट को दिखाते हुए बताया कि उन
लोगों के विरूद्ध किसी तरह का आपराधिक मामला दर्ज नहीं है. उधर बिहारीगंज थाना से
मिली जानकारी के अनुसार पुलिस उस रात अरार ओपी में हुए एक बाइक लूट के सिलसिले में
मंटू यादव तथा राजो यादव को खोजने मोहनपुर गाँव गई थी. मंटू यादव अभय यादव का
भतीजा है और राजो यादव सुधा देवी का पुत्र.
मोहनपुर
गाँव में पुलिस का चरित्र अपराधी की तरह दिखा. टीम में एक भी महिला पुलिस का न
होना और महिलाओं के साथ गंदी गालियाँ और मारपीट मधेपुरा पुलिस के दामन पर एक बड़ा
धब्बा जैसा है. शायद सुशासन में अधिकारियों के साथ अब पुलिस भी बेलगाम हो चुकी है.
ऐसे में कभी बिहार के लिए साधुशरण सिंह सुमन की लिखी ये पंक्ति आज चरितार्थ होती दिख रही
है कि “ खेत गदहा चरी, मार
जुलहा के पड़ी, ई बिहार बा यहाँ नीति न चली”.
मधेपुरा में पुलिस के कहर से थर्राया एक गाँव: महिलाओं को भी नहीं छोड़ा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 27, 2012
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