कर्मचारी के आकस्मिक निधन पर नगर परिषद् में शोक की लहर

संवाददाता/22 अगस्त 2012
नगर परिषद्, मधेपुरा में सहायक कर दरोगा के पद पर कार्यरत दिलीप कुमार सिंह की आकस्मिक निधन से नगर परिषद् में आज शोक की लहर फ़ैल गयी.58 वर्षीय दिलीप कुमार सिंह नगर परिषद् के एक कर्मठ और व्यवहार कुशल कर्मचारी में गिने जाते थे. मालूम हो कि स्व० दिलीप कुमार सिंह की मृत्यु आज दिन के 12:50 में हृदयगति रुक जाने से उनके आवास में हो गयी और वे अपने पीछे पत्नी के अलावे चार बेटियां और एक बेटे को छोड़ गए हैं. उनके आकस्मिक निधन पर आज नगर परिषद् उपाध्यक्ष रामकृष्ण यादव की अध्यक्षता में परिषद् कार्यालय में एक शोक सभा का आयोजन किया गया. शोक सभा में उपस्थित पार्षदों और अन्य लोगों ने उनकी आत्मा की शांति हेतु मौन रखा.
    शोक सभा में रामकृष्ण यादव, विशाल कुमार बबलू, दीपक कुमार बासुकी, ओमप्रकाश श्रीवास्तव, अनीता देवी, मो० सलाम, सचिदानन्द यादव, सुदीश प्र० यादव, बौकू यादव, सुनील कुमार चौधरी, ध्यानी यादव, रविन्द्र प्रसाद यादव, सचिव, जिला व्यापार संघ, पंकज कुमार यादव, मुकेश कुमार मुन्ना, रवि शंकर यादव, रूदल यादव, सफीक अहमद, मो० इसरार, मो० सादिर आलम, दुखा महतो, मो० समीर उद्दीन, रतन देवी, बिलास पासवान, विजय पंडित आदि ने भाग लिया.
कर्मचारी के आकस्मिक निधन पर नगर परिषद् में शोक की लहर कर्मचारी के आकस्मिक निधन पर नगर परिषद् में शोक की लहर Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 22, 2012 Rating: 5

4 comments:

  1. Akhabar ke khilaf logo ka virodh sahi hai. Ab samay aa gaya hai ki akhabar apani lekhani ki dadagiri band kare. Nahi to bhavishay me es se bade aandolan bhi ho sakaste hai. Es pure ghatana kram me Hindustan akhabar ki bhumika doyam darje ke patrkarita ka raha. Jan bhavana ko thes pahuchane wali khabar ke liye turant mafi mangani chahiy.

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  2. दि० १० अगस्त २०१२ हिंदुस्तान अखबार के कोशी संश्करण में छपी खबर को लेकर मधेपुरा के लोग आक्रोशित होकर

    सड़क पर उतर कर जबर्दस्त विरोध किये तथा अखबार की प्रति को आग के हवाले कर दिए | लोगो का गुस्सा अभी शांत

    नहीं हुआ है क्योंकि की जिन कारणों को लेकर आन्दोलन की शुरुवात हुई है उसका निदान अभी तक अखबार के माध्यम

    से न तो किया गया है और न ही किये जाने का प्रयास ही की जा रही है |

    सबसे दुर्भाग्य पूर्ण बात रही की इस घटना को सभी अखबारों ने प्रकाशित ही नहीं किया | क्या इसी प्रेस की आजादी बात

    आप हमेशा करते है ? क्या जनता की आवाज को आप दबाने का प्रयास नहीं किया जा रहा है ? क्या समाज को दर्पण

    दिखने वाले को खुद का चेहरा दिखाई नहीं पड़ता है ? क्या लेखनी की मर्यादा का उलंघन सही है ?

    समय आ गया है जब जिला स्तर के पत्रकारों की कार्यो की समीक्षा सम्पादक गण करे नहीं तो इस प्रकार की घटनाये

    रोज होंगी तथा आप के ब्लैक आउट करने का कोई मतलब ही नहीं रह जायेगा |

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  3. Yellow jounalism or Pit Patrakarita

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  4. do char log room mai baith kar tea ki chuski lete hue koi mantrna karte hai use hindutan akbar bada covrage deta hai 400-500 public town ke bich mai akbar ki pratiya jalate hai use akbar nahi chhapta hai ye kaisi patrkarita hai .ek patrkar apne ko bhagwan se upar samajhne laga hai /patrkarki gandi harkat ko dhakne kam yadi sampadak karta hai tao pit patrkarita ki had hi ho gai

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