राकेश सिंह/08 अगस्त 2012
मधेपुरा जिले का दूसरा कोर्ट और पहला सबडिवीजनल
कोर्ट बनकर तैयार है.जेल में अभी कमियां हैं.वीडियो कॉन्फेंस से कैदियों को
उपस्थापित कराना तत्काल उपाय हो सकता है, पर जब तक जेल का कार्य पूर्ण नहीं हो
जाता तब तक कई समस्याएं बनी रह सकती हैं.
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कोर्ट रूम भी तैयार |
जो भी हो,
आशा की किरण पूरी तरह जग चुकी है और इस वर्ष के अंत तक उदाकिशुनगंज कोर्ट के चालू हो जाने की पूरी
संभावना बनती है.इस कोर्ट के शुरू होते ही मधेपुरा से आधे से ज्यादा केस
उदाकिशुनगंज कोर्ट में ट्राइल हेतु चले जायेंगे.उदाकिशुनगंज अनुमंडल के तहत मधेपुरा
जिले के कुल तेरह प्रखंडों में से छ: प्रखंड आते हैं, जो इस कोर्ट के
न्यायाधिकारिता में आ जायेंगे.और इस तरह इन छ: प्रखंडों के 76 पंचायत और 220
गाँवों के लोगों को मुकदमा लड़ने में सहूलियत हो जायेगी.
मधेपुरा जिला
मुख्यालय में न्यायालय होने से चौसा, पुरैनी, ग्वालपाड़ा, बिहारीगंज, उदाकिशुनगंज
और आलमनगर के लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ जाता है.चौसा प्रखंड की दूरी
मधेपुरा से करीब 70 किलोमीटर है, ऐसे में वहाँ के लोगों को यहाँ लंबित केसों में
तारीख करने के लिए सुबह ही चलना पड़ता है क्योंकि चौसा से मधेपुरा आने में बस से कम
से कम तीन घंटे लगते हैं.शाम के पांच बजे तक न्यायालय का काम करने के बाद कभी-कभी
वापस जाने का कोई साधन नहीं रह जाता है.सुबह के न्यायालय में तो उन प्रखंडों से
समय पर न्यायालय पहुंचना असंभव जैसा दीख पड़ता है.
ऐसे में
उदाकिशुनगंज अनुमंडल के लोगों को वहाँ न्यायालय शुरू होने से बड़ी राहत मिलेगी
इसमें कोई शक नहीं है.
उदाकिशुनगंज कोर्ट: किसे पहुंचेगा फायदा??
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 08, 2012
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