संवाददाता/२८ फरवरी २०१२
दीवाल:टूटने से पहले |
दीवाल:टूटने के बाद |
“तोड़ के दीवार हम मिलेंगे,
मैं हूँ यहाँ तू है कहाँ खोया,
मैं कई रातों से नहीं सोया”
जी हाँ,मधेपुरा की मैट्रिक परीक्षा पर ये गाना बिलकुल सटीक बैठता है.चोरी पर आश्रित कई छात्र आराम से घर में सोते हैं और चींटार्थी कई रातों से चोरी कराने की चिंता में जगे हुए हैं.जिले के अधिकाँश केन्द्रों को अभिभावकों यानी ‘चींटार्थियों’ ने उसी तरह अपने कब्जे में कर लिया है जिस तरह तालिबान ने कभी अफगानिस्तान कों किया था. सूत्र बताते हैं कि जिन वीक्षकों ने परीक्षा के दौरान स्टाइल दिखाया है यानी चोरी करने से रोका है उसे आज सबक भी सिखाया जा सकता है.मीडिया वाले जिन्होंने इनके सुकर्मों कों उघारने का काम किया,उन्हें भी आज बचकर रहने की सलाह दी जाती है.परीक्षा केन्द्रों की बाउंड्रीवॉल भी इन्हें रोक नहीं पा रही है.कई ‘चींटार्थियों’ कों देखकर तो ऐसा लगता है कि इन्होने कमांडो ट्रेनिंग जन्म के साथ ही प्राप्त कर लिया है.दीवालों पर झटके से चढ़ कर दोमंजिला पर भी चींट पहुंचा देते हैं.स्थानीय वेदव्यास कॉलेज की एक दीवाल कों कल इन्होने चढ़ते-चढ़ते हिला दिया और फिर धक्के से गिरा भी दिया.परिणाम यह हुआ कि टूटे दीवाल के पास पुलिस और अधिकारियों कों घंटो कुर्सी लगाकर बैठना पड़ा.पर यहाँ तैनात पुलिस में से भी कुछ ‘चींटार्थियों’ से स्नेहपूर्वक बात करते दिख रहे थे.बहुत से लोग मीडिया से भी चोरी की खबर न छापने का अनुरोध यह कहकर कर रहे थे कि छात्रों का जीवन बर्बाद हो जाएगा.प्रश्न उठाना लाजिमी है कि किसका जीवन?इन चोरी से पास करने वालों का या फिर उन प्रतिभाशाली छात्रों का,जो इनके कुकर्म से सफलता की सीढियां चढ़ने से चूक जाते हैं.
मनबढ़ू किस्म के इन अभिभावकों कों रोकना किसी के बूते की बात नहीं है जब तक कि अंतरजिला केन्द्र न बनाये जाएँ.
‘चींटार्थियों’ ने दीवाल ही तोड़ डाला:हाल-ए-परीक्षा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 28, 2012
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‘चींटार्थियों’ के लिए ये दीवाल क्या चीन की दीवाल भी तोड़ सकता है.और साथ साथ अपने बच्चे के किस्मत को भी तोड़ रहा है..
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