सुबह से ही बजती पुलिस गाड़ी की सायरन.बहुत से लोग सोचते होंगे कि प्रशासन सचमुच ले रहा है कदाचारमुक्त परीक्षा.पर आज मधेपुरा टाइम्स ने परीक्षा का जो दृश्य देखा वो प्रशासन के सभी दावों की पोल खोलकर रख देने को काफी है.जिला मुख्यालय स्थित वेदव्यास कॉलेज का भी हाल अन्य कई जगहों जैसा ही था.बाउंड्री तक को अभिभावकों ने उसपर चढ़ कर व लदकर तोड़ डाला.पर केबी वीमेंस कॉलेज के दृश्य तो इतने भयावह निकले कि यदि किसी मिहनती छात्र ने इसे देख लिया तो शायद रो बैठेगा.यहाँ सिर्फ लड़कियों के सेंटर बनाए गए हैं.मधेपुरा टाइम्स टीम जब वहाँ पहुंची तो एसडीओ और एसडीपीओ की गाड़ी वहाँ से सायरन बजाती हुई जा रही थी मानो यहाँ से कदाचार मिटाते जा रही है.पर ये क्या? उनके जाते ही अभिभावक दीवाल पर चढ़े और पुलिस वाले को मैनेज करती नजर आ रही
थी.हम जब वहाँ पहुंचे तो सैंकडों की संख्यां में मौजूद अभिभावकों ने सबसे पहले चिल्लाकर हमें लौट जाने को कहा.परीक्षा कक्ष का हाल तो और भी बुरा था.कई जगह लड़कियां वीक्षकों के सामने टेबुल पर पुर्जे और गेस पेपर रखकर लिख रही थी.कैमरे को देखा तो परीक्षार्थियों के साथ वीक्षक भी हरकत में आये और फिर तो पूरा कमरा चींट-पुर्जों को छिपाने की खडखडाहट से गूंजने लगा.लगभग सारे परीक्षा-कक्षों की यही स्थिति थी.कुछ कमरों में वीक्षक भी मदद करने में अपनी वीरता समझ रहे थे.अभिभावक बाहर से भी प्रश्नों के उत्तर भेजने में सक्षम थे.बात साफ़ है जब केन्द्र पर तैनात पुलिस-कर्मचारी-वीक्षक ही बिके हैं तो प्रशासन के उच्चाधिकारी क्या ख़ाक करेंगे.


केन्द्राधीक्षक भी लाचार दिखती हैं.पहले तो इस बात से इनकार करती हैं कि खुलेआम चल रही है चोरी.पर हमारे द्वारा वीडियो दिखाने की बात पर वे चुप हो जाती हैं.
फिर जब इस सम्बन्ध में हमने मधेपुरा के जिलाधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा कि वीक्षक इसके लिए ज्यादा जिम्मेवार हैं.उच्चाधिकारी हमेशा केन्द्र पर बैठे तो नहीं रह सकते.यहाँ के लोगों को भी इस पर सोचने की जरूरत है.उन्होंने कहा कि प्रशासन कदाचार रोकने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है.शिकायत मिलने पर हम अवश्य ही कार्यवाही करते हैं.
देखा जाय तो मधेपुरा के कई केन्द्रों पर की स्थिति मिलती जुलती है.ऐसे में सबसे ज्यादा हानि उन प्रतिभावान छात्रों को होती है जिन्होंने दिन-रात मिहनत करके परीक्षा की तैयारी की है.इन नकलची छात्रों की तुलना में कम अंक पाने से उनका दाखिला अच्छे महाविद्यालयों में नहीं हो पाता है और ये देश के भविष्य ऐसे में हतोत्साहित होकर गलत कदम भी उठा लेते हैं.कुल मिलाकर मधेपुरा में मैट्रिक की परीक्षा का हाल मधेपुरा को शर्मशार करने के लिए काफी है.
मधेपुरा को शर्मशार करते ये छात्र और अभिभावक...
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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February 27, 2012
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ये बुरा है, शायद बहुत बुरा...
ReplyDeleteपर इसे रोकने के लिए क्या हम मेँ से किसी ने
सच्चा प्रयत्न किया ??
शायद नहीँ..
जरुरत है बड़े पैमाने पर कुछ सोचने का, कुछ
करने का..
आज जरुरत है, सबोँ को सच्चाई से रुबरू
करवाने का,
जो हमसब मिलकर कर सकते है...
क्योँ न हम सब मिलकर ऐसे संगठन
का निर्माण करे जो ना सिर्फ दावे करे,
बल्कि प्रभावी भी हो,
जो कहे कम और करे ज्यादा...
क्या ये हो सकता है...???
-ak
इनके अविभावक ही दोषी होगे...जो खुद अपने ही हाथो अपने बच्चे का भविष्य बरवाद कर रहे है..
ReplyDeleteYAHI ABHIBHAWAK BAAD ME ISE APNI KAMJORI KA EHSAS DILAENGE KI KOI NAUKRI NAHI NAHI KARTA
ReplyDeleteGHAR ME BAITHA HAI
AAJ KA JAMANA COMPITITION KA HAI
BINA KNOWLEDGE KA KOI COLLEGE KI DIGREE KAAM AANE WALI NAHI HAI.
kya inhe pata nahi hai baad me inhi ka pareshani ka karan banenge
ReplyDeletedegree to mil jayegi
but knowledge ka kya hoga kalia
BABA JI KA THULLU..........
Aaj ka jamana knowledge ka hai
is bhag daur bhari dunia me aap bahoot peeche rah jaoge
aur in sb ka credit jayega APPKO AUR HAMARE CLASS KE ANDAR BAITHE HUE TEACHER/PRO KO
Agar ye chahe to andar abhibhawak ka ABHIWAK bhi kuchh nahi kar payega