रूद्र ना० यादव/१३ जनवरी २०१२
बीस सूत्री बैठक बीएन मंडल स्टेडियम के सभागार में संपन्न हो गया और इसके अध्यक्ष बीस सूत्री प्रभारी मंत्री सह अनुसूचितजाति जनजाति कल्याण मंत्री जीतन राम मांझी की अध्यक्षता में कई मुद्दे उठे और सम्बंधित विभाग को निर्देश दे दिए गए.निर्देश के आलोक में कितना अनुपालन होता है ये तो वक्त बताएगा.पर हकीकत यही है कि इस बीस सूत्री बैठक के नाम पर लाखों रूपये पानी की तरह तो बहाए जाते हैं, लेकिन इस बैठक से आम अवाम की समस्या का निराकरण या भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की कार्यवाही नहीं होती.नटशेल में कहा जाय तो ये बीस सूत्री बैठक सिर्फ खाओ-पकाओ बैठक बन कर रह जाती है.
इस बैठक में उठाये गए मुद्दों से अधिकारियों की पोल न खुले इसके लिए मीडिया को दूर रखा जाता है.मीडिया को सिर्फ इतना ही अधिकार दिया जाता है कि फोटो खींचे और बाहर चले जाएँ.और फिर बैठक के बाद अधिकारी के द्वारा मनमौजी ढंग से वहाँ हुई कार्यवाही की ‘ब्रीफिंग’ कर दी जाती है.जनता के लिए अहम माने जाने वाले इस बैठक में उठते तो हैं सभी मुद्दे पर मंत्री जी पदाधिकारियों को डांट पिलाकर .......कर प्रभारी चले जाते हैं और फिर मामला वहीं समाप्त.
यदि कुछ विधायक और जनप्रतिनिधि जिले में हो रही लूट खसोट के विरोध में आवाज उठाते हैं तो उन्हें भी समझा-बुझा कर मिला लिया जाता है.वैसे तो अधिकाँश विधायक और जनप्रतिनिधि बैठक के समय मिले प्रतिवेदन पुस्तिका के पन्ने रामायण और कुरआन की तरह पलटते रहते हैं और अपने क्षेत्र की समस्या उठाते भी नहीं है.यह दीगर बात है कि बाद में क्षेत्र की जनता के सामने डींगें हांकते पाए जाते हैं कि हमने इस मुद्दे पर हिला कर रख दिया.चूंकि मीडिया वहाँ होती नहीं है तो खुलासा होना भी थोड़ा कठिन तो हो ही जाता है.वैसे कहा जाता है कि बैठक के बाद मंत्री जी अलग-अलग विभाग के अधिकारियों के साथ कमरे में अकेले में बात करते हैं.
पूर्व में जितनी भी बैठकें हुई हैं उसके कार्यावली को अगर ध्यान से देखा जाय तो जनसमस्याओं से जुड़े उठाये गए मुद्दे निष्कर्षहीन होकर रह गए हैं.समाधान तो हुआ नहीं उलटे अगली बैठक में मुद्दों की संख्यां बढ़ भी गयी.
मंत्री जी के आने पर उन्हें जिला प्रशासन सायरन वाली गाड़ी के साथ एस्कॉर्ट करके लाते है और फिर जाने के समय भी सायरन बजाते हुए उन्हें विदा किया जाता है.एस्कॉर्ट की सबसे आगे वाली गाड़ी में से पुलिस वाले हाथ निकाल कर सबको सड़क छोड़ देने का इशारा करते हैं.आम लोग हो जाते हैं भौंचक्क कि भई, ये कौन आया?एक दूसरे से पूछते-पूछते पांचवां-छठा आदमी बताता है कि ये बीस सूत्री के मंत्री हैं.तो सायरन बजा कर लोगों को भगाया क्यों जा रहा है?दिमाग पर जोड़ डालने से उनके होठ गोल हो जाते हैं.
कुल मिलकर इस बीस सूत्री बैठक के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई के लाखों रूपये तो सीधे-सीधे बहा दिए जाते हैं साथ ही इसके नाम पर......????
बीस सूत्री बैठक से मीडिया को रखा जाता है दूर:पोल खुलने का डर?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 13, 2012
Rating:
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 13, 2012
Rating:

No comments: