तुम्हारे सामने बैठूँगा
तुम्हारे हाथ में हाथ धर
एक कविता सुनाऊंगा.
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नयन से नयन मिलाऊंगा
मंद मंद मुस्कुराऊंगा,
कल कल बहेगी
प्यार की गंगा
एक कविता सुनाऊंगा.
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भूल चुके हैं लोग
प्रेम के शब्द
उन शब्दों की ज्योति जलाऊंगा.
तुम ही हो मेरी प्रेरणा.
तुम्हारे हाथ में हाथ धर
एक कविता सुनाऊंगा.
--उल्लास मुखर्जी, सदर अस्पताल. मधेपुरा.
एक कविता सुनाऊंगा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 13, 2012
Rating:
भावों से नाजुक शब्द......बेजोड़ भावाभियक्ति....
ReplyDeletenice one
ReplyDeleteक्या खूब लिखते हो ,बड़ी सुन्दर लिखते हो
ReplyDeleteऔर लिखो , लिखते रहो ,बड़े अच्छे लिखते हो