प्यार का सागर,जिंदगी की गागर,
बचपन का पुख्ता किला,
जिंदगी की जमीं ...पनाहों का आसमाँ,
खुदा के पहले भी है,
बचपन का पुख्ता किला,
जिंदगी की जमीं ...पनाहों का आसमाँ,
खुदा के पहले भी है,
खुदा के बाद भी है "माँ",
गंगा सा पवित्र शब्द है माँ,
धरती की सहनशीलता का
पर्याय है माँ,
निश्छल,निस्वार्थ,त्याग और
गंगा सा पवित्र शब्द है माँ,
धरती की सहनशीलता का
पर्याय है माँ,
निश्छल,निस्वार्थ,त्याग और
प्यार की पहचान है माँ,
ममता का सागर भरती,
बच्चो में संस्कार डालती,
है अंगरक्षक उनकी माँ,
गौरव है संसार का माँ,
आँखों में ठंडक पहुंचाती पुत्री रूप में माँ,
पत्नी रूप में पति का गौरव माँ,
बहु रूप में मान सम्मान
ममता का सागर भरती,
बच्चो में संस्कार डालती,
है अंगरक्षक उनकी माँ,
गौरव है संसार का माँ,
आँखों में ठंडक पहुंचाती पुत्री रूप में माँ,
पत्नी रूप में पति का गौरव माँ,
बहु रूप में मान सम्मान
प्रतिष्ठा बढ़ाती एक माँ,
बुजुर्ग होकर व् प्रेरणादायक है एक माँ ...
माँ के बिना सब कुछ अधुरा है,
बुजुर्ग होकर व् प्रेरणादायक है एक माँ ...
माँ के बिना सब कुछ अधुरा है,
है पूरी सृष्टि अधूरी..
--जानवी अग्रवाल,कोलकाता
खुदा के पहले खुदा के बाद है ... "माँ" .!!
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 08, 2012
Rating:
Who Care For You In Loneliness N Dies When You Cry She Is No One But Your Sweet Loving Mother Love UR Mom
ReplyDeleteits a nice poem janavi ji....
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