२००८ की कुसहा त्रासदी का भूत अभी भी जिले को बुरी तरह जकड़ा हुआ है.राहत कार्य तो सरकार ने तुरंत ही चलाये थे, पर अनियमितता इतनी हुई कि जिले की अनियमितता के पिछले सारे रिकॉर्ड टूट गये.पूरे जिले में जहाँ लाखों लोग प्रभावित हुए थे वहीं अभी तक भी अनगिनत पीड़ितों को राहत का लाभ नहीं मिल सका.ग्वालपाड़ा प्रखण्ड में बाढ़ पीड़ितों की उमड़ी कल की भीड़ राहत कार्य में हुए लूट और अनियमितता को उजागर करने के लिए काफी थे.हजारों की संख्यां में बाढ़ पीड़ितों ने प्रखण्ड कार्यालय के सामने धरना दिया और प्रशासन के खिलाफ आक्रोश जाहिर किया.इन बाढ़ पीड़ितों में से बहुतों का तो नाम भी सूची में दर्ज आन्ही हो सका है,राहत मिलने कि बात कौन करे.सूची बनाने में अनियमिततता हुई है,इस बात में कोई संदेह नहीं.बनाने वाले लोगों ने जनप्रतिनिधियों के दवाब या सलाह पर उनके अपने आदमियों के नाम तो सूची में डाल दिए पर इसमें बहुत से ऐसे लोगों के नाम छोड़ दिए गए जो वास्तव में पीड़ित थे और इन्हें राहत की दरकार थी.ग्वालपाड़ा के अंचलाधिकारी भी इस बात से इनकार नहीं करते कि बहुत से पीड़ितों का नाम सूची में दर्ज नहीं हो सका.
मधेपुरा का ग्वालपाड़ा हो या सहरसा का पतरघट, हजारों की संख्यां में लोगों के प्रदर्शन से जाहिर है कि राहत के नाम पर आई अरबों की राशि का बड़ा हिस्सा कुछ दबंग और घूसखोर लोगों ने अपने नाम कर लिए और गरीब और पीड़ित लोगों को यूं ही भगवान भरोसे छोड़ दिया, जिनकी स्थिति में अब तक कोई सुधार होता नहीं दीख रहा है.
बाढ़ पीडितों के प्रदर्शन से ठहरा ग्वालपाड़ा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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November 15, 2011
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