रूद्र ना० यादव/२३ मई २०११
जिले में पंचायत चुनाव की मतगणना के परिणामों में से कुछ परिणाम अत्यंत चौंकाने वाले हैं.एकाध उदाहरण तो ऐसे जैसे ये दबंग और पैसा लुटा कर जीत हासिल करने वाले प्रत्याशी के मुंह पर हो एक तमाचा.सिंघेश्वर प्रखंड के कमरगामा पंचायत की कहानी भी कुछ ऐसी ही है.कुल ४५०० वोटर के इस पंचायत के मतदाता शायद झूठ और फरेब से उब चुके थे.आज जहाँ पूरे जिले में जाति और पैसा ही वोट का आधार बना वहां इस पंचायत के मतदाताओं
ने जात-पात की अंधी राजनीति से ऊपर उठकर एक ईमानदार छवि की तलाश में थे.अगर जाति के
आधार पर इस गाँव मतदाताओं की संख्यां को देखा जाय तो यहाँ यादव, मंडल, राजपूत और दलितों की संख्यां अधिक है और ब्राह्मण का सिर्फ एक घर ही इस पंचायत में है जिसके कुल वोटरों की संख्यां २० के आस-पास है.मुखिया की दौर में कूद पड़े अशोक तिवारी इसी ब्राह्मण परिवार से आते हैं.अशोक के पास न तो जाति का बल, न पैसे का बल और न ही दबंगई का बल था.यदि बल था तो स्वच्छ, ईमानदार और सेवा भावना का. इस पंचायत के लोगों को अन्य प्रतिद्वंदी ने तरह-तरह
के प्रलोभन देकर पटाना चाहा, पर अशोक तिवारी की जादुई छवि के सामने बाक़ी की एक न चली.चुनाव परिणाम घोषित हुआ और अशोक तिवारी ने निकटतम प्रतिद्वंदी को १५७ मतों से मात दे दी.निवर्तमान मुखिया श्यामसुन्दर यादव पांचवे स्थान पर चले गए और उससे पूर्व के मुखिया रामलखन यादव इनके निकटतम प्रतिद्वंदी रहे.
ने जात-पात की अंधी राजनीति से ऊपर उठकर एक ईमानदार छवि की तलाश में थे.अगर जाति के
आधार पर इस गाँव मतदाताओं की संख्यां को देखा जाय तो यहाँ यादव, मंडल, राजपूत और दलितों की संख्यां अधिक है और ब्राह्मण का सिर्फ एक घर ही इस पंचायत में है जिसके कुल वोटरों की संख्यां २० के आस-पास है.मुखिया की दौर में कूद पड़े अशोक तिवारी इसी ब्राह्मण परिवार से आते हैं.अशोक के पास न तो जाति का बल, न पैसे का बल और न ही दबंगई का बल था.यदि बल था तो स्वच्छ, ईमानदार और सेवा भावना का. इस पंचायत के लोगों को अन्य प्रतिद्वंदी ने तरह-तरह
के प्रलोभन देकर पटाना चाहा, पर अशोक तिवारी की जादुई छवि के सामने बाक़ी की एक न चली.चुनाव परिणाम घोषित हुआ और अशोक तिवारी ने निकटतम प्रतिद्वंदी को १५७ मतों से मात दे दी.निवर्तमान मुखिया श्यामसुन्दर यादव पांचवे स्थान पर चले गए और उससे पूर्व के मुखिया रामलखन यादव इनके निकटतम प्रतिद्वंदी रहे.
कमरगामा का चुनाव परिणाम पूरे जिले के लिए एक सीख जैसा है कि यदि ईमानदार छवि का प्रत्याशी हो, तो जाती-पाती से उठकर बेईमानों को हार का रास्ता दिखाना जरूरी है ताकि एक स्वच्छ और आदर्श पंचायती राज की स्थापना हो सके.
ईमानदार छवि से दर्ज कराई असंभव जीत
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 23, 2011
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कौन कहता है इस दुनिया से ईमानदारी खत्म हो गई.आज ये गाँव बदला कल पूरा हिंदुस्तान बदलेगा "निस्वार्थ भाव से सेवा करना" हम मानव का पहला कर्तव्य है ये आज हम भूल गए.आज अशोक तिवारी हम लोगो को ये बता दिए की सच्चे दिल से किसी की सेवा की जाय तो वह व्यथ नहीं होता.
ReplyDeleteye kya ho gaya hai logon ko..
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