गेहूं निकला दानाविहीन: किसानों में हताशा

रूद्र नारायण यादव/०७ अप्रैल २०११
लगता है जिले में कृषि अब सिर्फ मिहनत की बात नहीं रह गयी है.कोशी में अब किसानों का साथ प्रकृति और भाग्य ने देना छोड़ दिया है.पहले बाढ़ और सुखाड़ फिर ओलावृष्टि और अब फसलों में दाने नहीं निकलना किसानों को कहीं का नहीं छोड़ रहा है.सूरजमुखी की खेती तो किसानों को महंगी पड़ी ही अब जब गेहूं की बारी आई तो फसल ने इन्हें जोरदार झटका दिया है.लहलहाते फसल को देखकर किसान जितने प्रसन्न हो रहे थे अब गेहूं की बाली में दाने नही पाकर किसान मायूस हो रहे हैं.कमोबेश मधेपुरा के अधिकाँश इलाकों का यही हाल है.इनका कहना है कि बीज बेचने वाले दुकानदारों से भी मिले धोखे का ये परिणाम हो सकता है,पर दुकानदार सारा इल्जाम प्रकृति पर लगा रहे हैं.मौसम भी इस बार खेती के पूर्णत: अनुकूल नही रहा.
   मुश्किल ये है कि अधिकाँश किसान मौसम और किस्मत की मार से परेशान होकर अब धंधे बदलने की बात करते नजर आ रहे हैं.अगर ऐसा हुआ तो जिले में खेती को एक बड़ा झटका लग सकता है और इसका असर पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ना लाजिमी है.ऐसे में आवश्यकता है कि सरकार खेती पर किसानों को अधिक से अधिक सब्सिडी दे जिससे प्राकृतिक और आर्थिक संतुलन बिगड़ने न पाए.
गेहूं निकला दानाविहीन: किसानों में हताशा गेहूं निकला दानाविहीन: किसानों में हताशा Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 07, 2011 Rating: 5

2 comments:

  1. Prakrity ko jo karna hai use kaun rok sakta hai.Kisan puri mehnat aur kharch kar jyada se jyada anaj paida karna chahte hai jyada munaafe ki baat sochte hai yahi karan hai ki uperwale ko yah sab karne ko mazboor hona parta hai,lobh ,lalach ka tyag karo yahi samay ki maang hai.

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  2. दुर्भाग्यपूर्ण. सरकार मुआवजा दे.

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