![]() |
डकैती के बाद दहशत |
![]() |
बिखरे-टूटे पड़े सामान |
रूद्र नारायण यादव/२८ जनवरी २०१०
सिंघेश्वर थाना क्षेत्र के डंडारी गाँव के एक टोले में बीती रात का दहशत अब भी कायम है.मिहनत मजदूरी से तिनका तिनका जमा करने वाले इस गांव के इन भोले लोगों ने कभी नही सोचा था कि सुशासन में उनके घर डकैती भी हो सकती है.डकैत पचास-साठ की संख्यां में बन्दूक ,लाठी आदि से लैश थे.इन्होने एक-एक कर सात
घरों को बड़े आराम से लूटा.गृहस्वामियों की पिटाई भी की.उनकी संख्यां और रूतबे को देख कर किसी की भी चूं-चपड़ करने की हिम्मत नही हुई.नकदी और जेवरात पर डकैतों की खास नजर रही.कुल मिलाकर करीब तीन लाख मूल्य के सामन व नकद लेकर डकैत चलते बने.जानकारी मिलते ही डीएसपी दल बल के साथ घटना स्थल पर पहुँच कर जांच-पड़ताल शुरू की और शक के आधार पर अगल बगल के गाँव के चार पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया. पुलिस का दावा है कि डकैतों की पहचान कर ली गयी है और जल्द ही पूरी घटना का उद्भेदन करने जा रही है.
घरों को बड़े आराम से लूटा.गृहस्वामियों की पिटाई भी की.उनकी संख्यां और रूतबे को देख कर किसी की भी चूं-चपड़ करने की हिम्मत नही हुई.नकदी और जेवरात पर डकैतों की खास नजर रही.कुल मिलाकर करीब तीन लाख मूल्य के सामन व नकद लेकर डकैत चलते बने.जानकारी मिलते ही डीएसपी दल बल के साथ घटना स्थल पर पहुँच कर जांच-पड़ताल शुरू की और शक के आधार पर अगल बगल के गाँव के चार पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया. पुलिस का दावा है कि डकैतों की पहचान कर ली गयी है और जल्द ही पूरी घटना का उद्भेदन करने जा रही है.
जो भी हो,डकैती का ये अंदाज काफी पुराना है.कहा जाता है कि पिछले दशक में इसी अंदाज में पचास-साथ की संख्यां में डकैत किसी गाँव में घुसते थे और कई घरों में एक साथ डाका डालना शुरू कर देते थे.इनकी संख्यां इतनी ज्यादा होती थी कि ये पूरे गाँव से लड़नेको तैयार रहते थे.डंडारी की इस घटना को लोग पिछले दशक के स्टाइल से जोड़कर देखते हैं.कुछ लोगों का ये भी मानना है कि ये वही पुराने डकैत हो सकते हैं जिन्होंने सरकार के कहने पर आत्मसमर्पण किया था,पर किस्मत बदलती नही देखकर फिर से पुराने धंधे में लौट रहे हैं.
डंडारी की डकैती ने पिछले दशक की याद दिला दी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 28, 2011
Rating:

No comments: