पुत्रधर्म निभाते बेटी ने दी डॉ. देवाशीष बोस के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि: पत्रकारिता के एक युग का अंत
पत्रकार, लेखक, समाजसेवी, अधिवक्ता, पर्यावरणप्रेमी समेत दर्जनों कार्यों में अपना उल्लेखनीय और अविस्मरणीय योगदान देकर दुनियां को महज 54 साल से भी कम की आयु में अलविदा कह देने वाले मधेपुरा के डॉ. देवाशीष बोस के पार्थिव शरीर को जब उनकी बेटी मेहुल बोस ने मुखाग्नि दी तो मधेपुरा जिला मुख्यालय के भिरखी घाट पर मौजूद लोगों की नम आँखों से आंसू गिरना स्वाभाविक था.
कल 11:30 बजे दिन में डॉ. देवाशीष बोस के निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर उनकी एकलौती पुत्री मेहुल बोस के इन्तजार में रखा गया था. आज दाह-संस्कार से पहले दिन में डॉ. बोस के पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय गानों की धुन के साथ शहर के मुख्य जगहों से लोगों के अंतिम दर्शन के लिए ले जाया गया. कल से आज तक जहाँ लोगों के बीच सिर्फ उनकी ही उपलब्धियों की चर्चा होती रही वहीं आज शहर की हर ऑंखें आधुनिक मधेपुरा के एक इतिहास पुरुष के लिए नम थी और वे अंतिम दर्शन करना चाहते थे. यही वजह रही कि निर्धारित समय से काफी विलम्ब से उनकी चिता सजाई जा सकी.
देहरादून में लॉ की विशिष्ट पढ़ाई कर रही डॉ. बोस की पुत्री मेहुल बोस ने पिता के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देकर धर्म का निर्वाह किया. इसके साथ ही कोसी में पत्रकारिता के एक युग का अंत हो गया. पर एक बात तय है कि जब भी मधेपुरा में पत्रकारिता का इतिहास लिखा जाएगा, डॉ. देवाशीष बोस की उपलब्धियों की चर्चा के बिना पूरा नहीं हो सकता.
(रिपोर्ट: महताब अहमद के साथ मुरारी सिंह)
कल 11:30 बजे दिन में डॉ. देवाशीष बोस के निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर उनकी एकलौती पुत्री मेहुल बोस के इन्तजार में रखा गया था. आज दाह-संस्कार से पहले दिन में डॉ. बोस के पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय गानों की धुन के साथ शहर के मुख्य जगहों से लोगों के अंतिम दर्शन के लिए ले जाया गया. कल से आज तक जहाँ लोगों के बीच सिर्फ उनकी ही उपलब्धियों की चर्चा होती रही वहीं आज शहर की हर ऑंखें आधुनिक मधेपुरा के एक इतिहास पुरुष के लिए नम थी और वे अंतिम दर्शन करना चाहते थे. यही वजह रही कि निर्धारित समय से काफी विलम्ब से उनकी चिता सजाई जा सकी.
देहरादून में लॉ की विशिष्ट पढ़ाई कर रही डॉ. बोस की पुत्री मेहुल बोस ने पिता के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देकर धर्म का निर्वाह किया. इसके साथ ही कोसी में पत्रकारिता के एक युग का अंत हो गया. पर एक बात तय है कि जब भी मधेपुरा में पत्रकारिता का इतिहास लिखा जाएगा, डॉ. देवाशीष बोस की उपलब्धियों की चर्चा के बिना पूरा नहीं हो सकता.
(रिपोर्ट: महताब अहमद के साथ मुरारी सिंह)
पुत्रधर्म निभाते बेटी ने दी डॉ. देवाशीष बोस के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि: पत्रकारिता के एक युग का अंत
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 22, 2016
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